जब हर कोई चुनावी टिकट के लिए मारामारी कर रहा, जमीर/आत्मा जगा के दलबद्ल कर रहा,तब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मन में इस सबके प्रति वैराग्य पैदा हो गया है। उत्तराखंड की डोईवाला सीट से विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ना चाह रहे हैं । उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को इस संबंध में खत लिख कर अपने मन की बात बता दी है, बाकी नड्डा जी जाने या मन की बात वाले मोदी जी कि त्रिवेंद्र के तन का कहां इस्तेमाल करते हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में जब घर- घर मोदी, हर – हर मोदी हो रहा था तब वर्ष 2017 में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला। 70 में से पूरी 57 सीट। उस वक्त त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री बने थे। सतपाल महाराज और प्रकाश पंत जैसे नेताओं की दावेदारी को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने त्रिवेंद्र सिंह रावत पर भरोसा जताया था । 4 साल तक पीएम पद पर बने रहने के बाद मार्च 2021 में अचानक त्रिवेंद्र रावत को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया गया। उनके स्थान पर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया ।
उन्होंने त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा लिए गए तमाम फैसलों को एक-एक कर पलट दिया । ऐसा लगने लगा कि केंद्रीय नेतृत्व त्रिवेंद्र सिंह रावत से बहुत ज्यादा नाराज था और तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाने के बाद सिर्फ और सिर्फ यही आदेश दिया गया है कि त्रिवेंद्र द्वारा लिए गए सारे फैसले को बदल डालो। हालांकि बाद में हाईकमान ने तीरथ को ही बदल डाला। तीरथ की हटा कर जुलाई 2021 में पुष्कर सिंह धामी को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए हालात नहीं बदले। त्रिवेंद्र केंद्रीय नेतृत्व का भरोसा नहीं जीत पाए।
अब प्रदेश में विधानसभा का चुनाव होने वाला है । केंद्रीय नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि पुष्कर धामी ही उनका चेहरा है । यह भी लगभग तय हो गया है कि यदि भाजपा जीतती है तो पुष्कर धामी ही सीएम बनेंगे । अपने लिए खत्म होती संभावना को देखकर या फिर चाहे और कोई कारण हो त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बार का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है। बुधवार को उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को खत लिखा है और 4 साल तक मुख्यमंत्री बनकर उत्तराखंड की सेवा करने का मौका देने के लिए उनका आभार जताया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी सहयोग के लिए और भरोसा जताने के लिए आभार जताया है। उन्होंने लिखा है कि वह चाहते हैं कि मौजूदा परिस्थितियों में उनको चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। त्रिवेंद्र की इच्छा हैं कि चुनाव में धामी के नेतृत्व में फिर से भाजपा की सरकार प्रदेश में बने । वह धामी की जीत सुनिश्चित करने के लिए काम करना चाहतेे हैंं।अब देखना यह है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व त्रिवेंद्र सिंह रावत की इस इच्छा का कितना सम्मान करता है । या जबरन चुनाव का टिकट थमाकर उनकी जनता के बीच अग्नि परीक्षा लेता है।