✍🏿सुधीर राघव : स्वर्ग में चिल मार रहे चर्चिल एक दम हड़बड़ा के उठ बैठे जब उन्होंने सपना देखा कि धरती पर और खासकर उनके प्यारे ब्रिटेन पर अब एक भारतवंशी राज कर रहा है.
धरती की सूचनाएं स्वर्ग में दिवंगत आत्माओं को सपने के जरिए ही मिलती हैं. सपना ही स्वर्ग का अखबार है. इसे ऐसे समझें, जैसे धरती पर जब श्राद्ध किया जाता है तो पितरों को भोजन कर लेने का सपना आता है और वे तृप्त हो जाते हैं.
मगर ताजा सपना देखकर चर्चिल तृप्त नहीं संतप्त हो गये. बेचैन होकर बुदबुदाने लगे, “क्या यह वही ग्रेट ब्रिटेन है जिसे मैंने सिखाया था कि ‘मैं रक्त, श्रम, आंसू और पसीने के अतिरिक्त और प्रदान नहीं कर सकता…!’ फिर भी मेरे देश के लोग बेरोजगारी और भूख से डर गये और भारतवंशी अर्थशास्त्री को चुन लिया…! मैंने हर ब्रिटिश को जिंगो (अंधभक्त) बनाया और ये सब विंगो (उड़ानवादी) बन गए…! कम से कम भारत को ही देख लेते! वहां मेरा…इस चर्चिल का जिंगोइज्म चल रहा है… उन्होंने बेरोज़गारी, भूख और बातूनी नेता को चुनना पसंद किया मगर अपने अर्थशास्त्रियों को घास नहीं डाली…मगर ये ब्रिटिश क्या कर रहे हैं. जाति, नस्ल, धर्म सब भूल गए… मेरा सिखाया सब गोबर हो गया…! मैं अभी महारानी के पास जाता हूं!”
महारानी को स्वर्ग आए चालीस दिन हो गए थे पर टोरी नेता रहे चर्चिल भी टौर में थे. अब तक सलाम करने नहीं गए थे. मगर धरती से आए सपने ने उनका चैन छीन लिया था. वह सीधा महारानी के पास पहुंचे – “महारानी मैं ये क्या देख रहा हूं… ब्रिटेन जिंगो से सीधा विंगो हो गया. आप उसे क्या सिखाकर आई हैं…!”
महारानी ने बड़े ही शांत स्वर में उत्तर दिया- “तुम्हारे जिंगोइज्म के बाद से ही ब्रिटेन का कभी न डूबने वाला सूरज लगातार डूबता गया. इससे पहले कि पूरा ब्रिटेन डूब जाए उसका जाति, नस्ल और धर्म से ऊपर उठकर उदार हो जाना बेहतर है. रक्त और आंसू सिर्फ भेड़ियों को पसंद हैं. जिंगो बनकर तुम दुनिया में सिर्फ नफरत और दुश्मनी कमाते हो, जबकि उदार बनकर दोस्ती और प्रेम.”
@सुधीर_राघव