रिपोर्टर : अंजली भट्ट
125 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना जो उत्तराखंड के दुर्गम हिमालयी क्षेत्रों को रेल से जोड़ेगी वह तेजी से आकार ले रही है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत अब तक 11 मुख्य सुरंगों और 8 बड़े पुलों का निर्माण पूरा हो चुका है, जबकि शेष कार्य तीव्र गति से चल रहा है।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत 1996 में तत्कालीन रेल मंत्री सतपाल महाराज द्वारा सर्वेक्षण के साथ हुई थी। 2011 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा आधारशिला रखी गई, लेकिन राजनीतिक मतभेदों के कारण कार्य में देरी हुई।
गढ़वाल रीजन में रेलवे निर्माण का कार्य शुरू किया गया
2015 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे प्राथमिकता देते हुए निर्माण कार्य तेज किया। 2018 में वीरभद्र रेलवे स्टेशन से योग नगरी ऋषिकेश तक पहले ब्लॉक सेक्शन का काम शुरू हुआ और 2020 में पूरा हुआ। पहाड़ में सुरंग और पुल निर्माण के लिये डिजाइन अनुबंध 2019 में किये गये। इसके बाद गढ़वाल रीजन में रेलवे निर्माण का कार्य शुरू किया गया।
इस परियोजना में कुल 35 पुलों में से 19 प्रमुख पुलों का निर्माण किया जाना है, जिनमें से 8 पहले ही तैयार हो चुके हैं। यह लाइन ऋषिकेश (385 मीटर ऊँचाई) से शुरू होकर कर्णप्रयाग (825 मीटर ऊँचाई) तक जाएगी और इसमें 12 नए स्टेशन बनेंगे। जिनमें योग नगरी ऋषिकेश पहला रेलवे स्टेशन बन चुका है अब मुनिकी रेती, शिवपुरी, मंजिलगाँव, सकनी, देवप्रयाग, कीर्तिनगर, श्रीनगर, धारी देवी, घोलतीर, गौचर, और कर्णप्रयाग शामिल हैं।