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सरकारी बहानेबाजी से तंग ग्रामीणों ने खुद उठा लिए गैंती-फावड़े-सब्बल


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रुद्रप्रयाग जिले में शासन – प्रशासन की बहानेबाजियों के आगे तमाम कोशिश करने के बाद निराश होकर रानीगढ़ क्षेत्र के जसोली गांव के ग्रामीणों ने स्वयं ही सड़क बनाने का निर्णय ले लिया है। ग्रामीणों ने अब स्वयं कुदाल – फावड़ा उठाकर सड़क निर्माण का कार्य शुरू कर दिया है। निर्माण के दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं – पुरुष शामिल हैं। सड़क निर्माण के लिए ग्रामीण चंदा भी एकत्रित कर रहे हैं।

स्थानीय ग्रामीण करीब डेढ़ किमी जसोली – जीआईसी चमकोट मोटरमार्ग निर्माण की मांग लम्बे समय से कर रहे हैं। मोटरमार्ग बनने से जसोली गांव की अनुसूचित जाति की बस्ती के साथ ही राजकीय इंटर कॉलेज, स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी केंद्र को भी जुड़ना है। सड़क के लिए स्थानीय लोग कई बार शासन-प्रशासन के चक्कर भी काट चुके हैं। किन्तु किसी सरकारी स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई। ऐसे में ग्रामीणों ने थक – हारकर स्वयं ही सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया है। सड़क के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण श्रमदान कर रहे हैं। ग्रामसभा जसोली की प्रधान अर्चना चमोली ने कहा कि ग्रामीणों ने पूर्व में सड़क निर्माण का काम शुरू न होने पर खुद श्रमदान के जरिये सड़क निर्माण शुरू करने का अल्टीमेटम दे दिया था। सरकार ने ग्रामीणों को गेंती – फावड़ा उठाने को मजबूर किया है। मोटरमार्ग को वन भूमि के नाम पर लटकाया जा रहा है। जबकि इसमें लोगों के नापखेत हैं। वनभूमि कहीं भी नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता मदनमोहन चमोली ने कहा कि सड़क न होने से कई गर्भवती महिलाओं की जान भी चली गई है। महिलायें रास्ते में ही दम तोड़ देती हैं। एक छोटी सी मांग के लिये ग्रामीणों को आंदोलन करना पड़ रहा है। स्थानीय निवासी त्रिलोक चौधरी, दिनेश रावत, रामलाल, बिंदी लाल, पुष्कर लाल, रमेश मैठाणी, हरीश मैठाणी, ज्योति देवी,मदन लाल, मनोरी लाल, दीपक लाल का कहना है कि अब सभी ग्रामीणों ने सड़क निर्माण का बीड़ा उठा दिया है। अब सड़क बनकर रहेगी। यूकेडी नेता मोहित डिमरी ने कहा कि सरकार दलितों के कल्याण के नाम पर सिर्फ ढोंग करती है, जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इस सड़क के न बनने से सरकार की दलितों – वंचितों के प्रति सोच भी स्पष्ट हो गई है। मोहित डिमरी ने कहा कि स्पेशल कंपोनेंट प्लान में दलित बस्ती को शामिल न किया जाना भी साजिश का एक हिस्सा लगता है।

 

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