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गजब! मोदी का ‘लोकल फॉर वोकल’ नारा बना कांग्रेसियों का प्यारा


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राजनीति में कब क्या और कैसे हो जाए, कहा नही जा सकता। जो हरक सिंह रावत खुद को सिकंदर मान रहे थे, उन्हें उनकी हालत एकुला बंदर की सी हो चुकी है। खुद को अजेय मानने वाले हरक सिंह रावत को अब तक सियासी ठौर नहीं मिला है, वहीं जिन- जिन सीटों पर वे अपने चाहने वालों की कतार गिना कर अपनी जीत का दावा जता रहे थे वहीं वहीं उनके खिलाफ स्थानीय नेता एकजुट हो गए हैं। यहां तक कि कांग्रेसी नेतागण ‘ लोकल फॉर वोकल ‘ के गीत गाने लगे हैं। लोकल फॉर वोकल वही नारा है जिसे कांग्रेस की धुर विरोधी भाजपा के शीर्ष नरेंद्र मोदी ने दिया है। पर क्या करें सियासत में उसे भी अपनाना पड़ जाता है जिससे परहेज हो।खैर, मुद्दे की बात यह है कि 20 जनवरी वीरवार को लैंसडौन विधानसभा सीट के उम्मीदवारों ने आपसी प्रतिद्वन्द्विता छोड़कर हरक के विरोध का ऐलान कर दिया है।

एक होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में जयहरीखाल के ब्लाक प्रमुख दीपक भंडारी, महिला कांग्रेस की प्रदेश महामंत्री रंजना रावत, मनीष सुंद्रियाल, गोपाल रावत ने डॉ. हरक सिंह रावत को कांग्रेस में शामिल करने का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि  हरक सिंह रावत अभी तक राजनीतिक दलों की लहर के चलते ही जीतते आए हैं। हरक सिंह रावत ने वर्ष 2016 में कांग्रेस की सरकार गिराई और अब वह अपनी पुत्रवधू के लिए टिकट मांगने की शर्त पर कांग्रेस में शामिल होने की बात कर रहे हैं।

कांग्रेस नेता धीरेंद्र प्रताप, रघुवीर बिष्ट समेत लैंसडौन विधानसभा सीट से टिकट के सभी 12 दावेदारों ने भाजपा से निष्कासित पूर्व वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत को पार्टी में शामिल करने का पुरजोर विरोध किया है। दावेदारों ने उन्हीं में से एक को पार्टी प्रत्याशी बनाने की मांग की। साथ ही डॉ. हरक सिंह के कांग्रेस में शामिल होने पर उन्होंने लोकल फॉर वोकल के नारे के साथ अपने बीच के एक प्रत्याशी को निर्दलीय मैदान में उतारने की चेतावनी भी दी।

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