,✍🏿पार्थसारथि थपलियाल
कल 10 जून शुक्रवार देश के अनेक भागों में दोपहर की नमाज के बाद नमाजी सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन करने लगे। इन प्रदर्शनों का कोई घोषित नेता नही था। यह विचारणीय है कि जिस प्रदर्शन का कोई नेता न हो तो वह अचानक कैसे किया गया।? सच तो यह है की डिजिटल क्रांति के इस दौर में बिना सार्वजनिक घोषणा के सब संभव है। सड़कों पर नारे गूंजे “सर तन से जुदा सर तन से जुदा”। भारत में भाई चारे की दुहाई देने वाले भाई को चारा समझकर खाते रहे। अगर भाई चारे की भावना कहीं हो तो ऐसे नारे कौन लगाएगा। मिल बैठकर घर मे मामला हाल करने की बजाय सिरों को काटकर लाने के इनाम घोषित होने लगे। शांति का मजहब अशांति फैलाने लगा। कुछ लोग जो गंगा जमुनी संस्कृति का पाठ पढ़ाया करते थे वे भारत के हिंदुओं को कहीं और जाने की सलाह देने लगे। इस पर मीडिया में डिबेट होने लगी और तथ्य जो प्रामाणिक किताबों में हैं बाहर आने लगे।
27 मई को एक तमाशाई डिबेट में दो प्रतिभागियों में गरमागरम बहस में कही बात पर अल जजीरा (खाड़ी स्थित) नामक चैनल पर भारत के चैनल पर प्रसारित कथन को ईश निंदा के रूप में चलाया गया। चैनल ने यह विचार नही किया कि भारत लोकतांत्रिक देश है और वहां अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता है। खाड़ी स्थित कतर देश ने आपत्ति जताई उसकी देखादेखी तुर्की, कुवैत, ईरान और पाकिस्तान भी कूद पड़े। कूदने का कारण है- उम्मत। अर्थात इस्लाम वाले सभी भाई भाई हैं। जहां कहीं मुस्लिम को सहायता की आवश्यकता होगी सभी मुस्लिम देश एकजुट होकर सहायता करेंगे।
मूल रूप से यह यह विचार मुस्लिम ब्रदर हुड का है, जिसकी स्थापना मिश्र में 1928 में अल हसन बन्ना ने की था। उन्होंने जोर देकर कहा था कि केवल कुरान और सबसे अच्छी तरह से प्रमाणित हदीस ही शरिया के लिए उपयुक्त है। यहीं से वह विचार पनपा कि इस्लाम ही समाधान है। इस्लाम मे राज्यों की बजाय पूरी दुनिया मे एक खलीफा का राज हो, ऐसी धारणा है। मलेशिया के बाद दुनिया के सर्वाधिक मुसलमान भारत मे रहते हैं। इनकी जनसंख्या लगभग 30 करोड़ है। अधिकतम भारतीय मुस्लिम हिंदुओं में से ही कन्वर्ट हुए हैं। वे भारतीय परम्पराओं से भली भांति परिचित हैं। वर्तमान समय मे दुनिया मे वहाबी आंदोलन चल रहा है।
वहाबी आंदोलन एक अतिवादी इस्लामी आंदोलन है। इस आंदोलन को शुरू किया था इमाम मुहम्मद बिन अब्दुल वहाब। इस आंदोलन से जुड़े कुछ लोग जल्दी से पूरी दुनिया को इस्लामिक देखना चाहते हैं। इन्हें कुरान और हदीस के अलावा कोई विचार स्वीकार नई। उन्ही विचारों से प्रेरित वे तमाम संगठन हैं जो दुनिया में आतंकवाद को चलाते हैं। दुनिया मे 100 से अधिक चरमपंथी संगठन हैं जो मानवता के दुश्मन हैं। कुछ नाम हैं- अल बदर, अल कायदा, तालिबान, बोको हराम, जैश ए मोहम्मद, दुखतराने ए मिल्लत, जमात उल मुजाहिद्दीन, हिजबुल्ला, अल शबाब, हरकत उल अंसार, सिमी, आई एस आई एस आदि।
विश्व मे भारत एक ऐसा देश है जिसने मानवता को ही धर्म माना है। लगभग एक सौ करोड़ हिन्दू बहुत ही शालीन जीवन बिताने वाले हैं। विश्व के पटल पर भारत का बहुत बड़ा नाम है। हाल के दिनों में जब भारत ने रूस और यूक्रेन युद्ध मे भाग न लेकर विश्व युद्ध को शिथिल कर दिया तो विश्व मे अलग संदेश गया। भारत ने रूस से पेट्रोलियम पदार्थ सस्ते में लेने शुरू किए। कतर जहां से भारत 40 प्रतिशत तेल आयात करता है उसे यह परेशानी भी हुई कि भारत रूस से तेल क्यों ले रहा है। इसलिए उसने भारतीय चैनलों पर टी वी डिबेट के तथाकथित अपमान जनक कथन पर मचे शोर शराबे को अलजजीरा के माध्यम से उठाया।
अल जजीरा एक ऐसा चेंनल है जो दुनिया मे विवाद फैलाने के लिए मशहूर है। इसकी फंडिंग कतर देश करता है। क्या भारत विरोधी इस चैनल को भारत सरकार प्रतिबंधित नही कर सकती? खैर भारत के विदेशमंत्री श्री एस जयशंकर ने इन देशों को जो कुछ सुनाया, शर्मदार हो तो डूब कर नही दम घुटने से ही मर जाएं। बछिया खूंटी के बल कूदती है। भारत की बछिया का खूंटा उम्मा है।
राम चरित मानस में लिखा है-
होहिइ न एक संग दोउ भुआला हंसउ ठठऊ फुलावहीँ गाला।।
यह संभव नही कि कोई आदमी एक साथ गाल भी फुलाये रखे और हँसता भी हो। यह गंभीर मुद्दा है ईश निंदा का ध्यान तब क्यों नही रखा जाता है जब अन्य धर्मों के प्रतीकों का अपमान किया जाता है?