नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र में वीरवार 27 जुलाई को उत्तराखंड से राज्य सभा सदस्य नरेश बंसल ने कहा कि आजादी के अमृत काल में संविधान के अनुच्छेद एक में संशोधन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस अनुच्छेद में वर्णित ‘इंडिया दैट इज भारत’ से गुलामी के प्रतीक का अहसास होता है। इस प्रतीक को खत्म करने के लिए इंडिया शब्द हटा दिया जाना चाहिए।
सांसद नरेश बंसल ने विशेष उल्लेख में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विगत 15 अगस्त को लाल किले से देश के नाम संबोधन में साफ कहा था कि दासता के प्रतीक चिन्हों से देश को मुक्ति दिलाना जरूरी है। पीएम ने अपने भाषण में आजादी के अमृत काल के लिए 5 प्रण बताए थे। इनमें से एक प्रण औपनिवेशिक माइंडसेट से देश को मुक्त कराने का भी जिक्र किया था। विगत 9 सालों में प्रधानमंत्री ने अनेक कदम उठाए हैं। बल्कि अनेक मौकों पर उन्होंने औपनिवेशिक विरासत, औपनिवेशिक प्रतीक चिन्हों को हटाने और उसकी जगह परंपरागत भारतीय मूल्यों और सोच को लागू करने की वकालत की है।
बंसल ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में देश को आज एक नई प्रेरणा और ऊर्जा मिली है । हम गुजरे हुए कल को छोड़कर आने वाले कल की तस्वीर में नए रंग भर रहे हैं। आजादी के अमृत काल में गुलामी की पहचान से मुक्ति मिली है। आज देश अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे सैकड़ों कानूनों को बदला जा चुका है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए अब विदेशी भाषा की मजबूरी से भी देश के युवाओं को आजाद किया जा रहा है।
सांसद बंसल ने संसद सत्र में विशेष उल्लेख मे कहा कि अंग्रेजों ने लगातार ढाई सौ साल तक भारत पर शासन किया और देश का नाम भारत से बदल कर इंडिया कर दिया। भारत की स्वतंत्रता सेनानियों की मेहनत और बलिदानों के कारण जब 1947 में देश आजाद हुआ और भारत का संविधान 1950 में लिखा गया तो उसमें भी हम भारतीयों ने लिख दिया ‘इंडिया दैट इज भारत’। जबकि हमारे देश का नाम हजारों सालों से “भारत” ही रहा है।
भारत को “भारत” बोला जाना चाहिए ,इसके बजाए लिखा गया ‘इंडिया दैट इज भारत’ । उन्होंने कहा कि देश का अंग्रेजी नाम इंडिया शब्द गुलामी की निशानी है। देश का नाम एक ही होना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन कर देश का नाम ‘इंडिया दैट इज भारत’ हटा केवल “भारत” होना चाहिए। सांसद नरेश बंसल ने मांग की कि आजादी के अमृत काल मे अंग्रेजी गुलामी के प्रतीक को हटा इस पुण्य पावन धरा का नाम संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन कर पुनः भारत रखा जाए।