देहरादून। उत्तराखंड में बाघों का कुनबा बढ़ता जा रहा है। पिछले चार सालों में 118 बाघ बढ़े हैं। प्रदेश में इस बार बाघों की संख्या 560 तक पहुंच गई है। खास बात यह है कि बल्कि बाघों के संरक्षण में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व पार्क सबसे आगे है। यहां 260 बाघ हैं। इससे पूर्व वर्ष 2018 की गणना में कार्बेट में बाघों की संख्या 231 थी। 2018 में बाघों की गणना में मध्य प्रदेश पहले स्थान पर रहा था।
शनिवार को केंद्रीय वन व पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से ढिकुली में आयोजित ग्लोबल टाइगर मीट में “टाइगर इंडेक्स 2022” के राज्यवार आंकड़े जारी किए।
इस मौके पर प्रत्येक टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बताई गई । आंकड़ों के अनुसार कार्बेट टाइगर रिजर्व 260 बाघों की संख्या के साथ सबसे अधिक बाघ घनत्व वाला टाइगर रिजर्व हो गया है। सीटीआर देश भर के टाइगर रिजर्व में पहले स्थान पर रहा। जबकि इससे पूर्व वर्ष 2018 की गणना में कार्बेट में बाघों की संख्या 231 पायी गयी थी। जारी आंकड़ों के अनुसार उत्तराखण्ड में बाघों की संख्या वर्ष 2018 में 442 थी। वर्ष 2022 में यह संख्या 560 पर पहुंच गयी है।
यहां बता दें कि वर्ष 2018 में मध्य प्रदेश पहले स्थान पर रहा था। तब एमपी में बाघों की संख्या 526 थी। 524 बाघों के साथ कर्नाटक दूसरे स्थान पर रहा था । जबकि उत्तराखंड तीसरे स्थान पर था।
कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री चौबे ने बताया कि बाघ संरक्षण की दिशा में विभिन्न राज्यों के टाइगर रिजर्व सराहनीय कार्य कर रहे हैं। बाघों की संख्या में वृद्धि होना उसी का प्रतिफल है। उनके द्वारा सेना एवं पुलिस की तर्ज पर वन कर्मियों को भी राष्ट्रपति सराहनीय सेवा पदक दिये जाने हेतु आह्वान भी किया गया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से भाग लेते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में बाघों के संरक्षण की दिशा में प्रशंसनीय कार्य किये जा रहे हैं। वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा में और अधिक तकनीकी उपाय किये जाने की जरूरत है। उत्तराखण्ड में बढ़ती हुई बाघों की संख्या के लिए उन्होंने हर्ष व्यक्त करते हुए बाघ संरक्षण में तैनात कार्मिकों के कार्यों की भी सराहना की।
इस मौके पर विधायक दीवान सिंह बिष्ट, रेनू बिष्ट, सरिता आर्या, राम सिंह कैड़ा, डीजी फॉरेस्ट सीपी गोयल, एनटीसीए सचिव डॉ एसपी यादव, आईजीएफ एनटीसीए डॉ अमित मलिक, प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) अनूप मलिक, प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) / मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक समीर सिन्हा, मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव प्रशासन निशान्त वर्मा, मुख्य वन संरक्षक कुमाउं पीके पात्रो, कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ धीरज पाण्डे और राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ साकेत बडोला आदि मौजूद रहे।