हल्द्वानी में खाम की जमीन पर रोपा गया चन्दन का सूखा पेड़।
हल्द्वानी (राजेश सरकार): मामला खुला तो कार्रवाई से बचने के लिए कातिल ने चन्दन की लाश( सूखे तने ) को निर्माणाधीन बिल्डिंग की बुनियाद के पीछे गड्ढा खोदकर खड़ा कर दिया। जिसे वन विभाग के छापेमार दल ने बरामद कर लिया। चन्दन के हरे पेड़ को काटने के बाद उसका तना ठेकेदार ने निर्माणाधीन बिल्डिंग में काम आने वाले लोहे के समान के नीचे छुपाया हुआ था। देर रात वन विभाग की टीम ने चन्दन के पेड़ को जांचने के बाद पाया कि पेड़ पूरी तरह सूख (मर) गया है। टीम मौके से ठेकेदार के मुंशी को पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई।
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दरअसल, हल्द्वानी के नैनीताल रोड़ कालाढूंगी चौराहे पर स्थित बिजली स्टेशन के ठीक पीछे खाम की जमीन को शासन ने निर्वाचन विभाग नैनीताल को ईवीएम व विवि पैट्स के भंडारण के लिए वेयर हाउस ( स्ट्रांग रूम) बनाने को आवंटित किया है। इससे पहले उक्त भूखण्ड पर पटवारी चौकी हुआ करती थी। जिसे ठेकेदार ने तोड़ने के बाद उक्त भूखंड पर लगे दो पेड़ (एक चन्दन व एक आम का) जो करीब दस वर्ष पुराने थे, रातो रात सम्बंधित विभाग की अनुमति लिए बिना काट दिए थे। अगले दिन सुबह प्रत्यक्षदर्शियों ने चन्दन के कटे पेड़ की मोबाइल से वीडियो बनाकर मीडिया कर्मियों से साझा की।
#northernreporter.in ने इस खबर को प्रमुखता से उठाया। इसका संज्ञान लेते हुए डीएफओ तराई अभिलाषा सिंह ने विभागीय टीम को मौके पर भेजा। टीम को निर्माणाधीन बिल्डिंग के पीछे की तरफ एक सूखा हुआ तना देखा, जो कुछ ही घण्टे पहले जमीन पर खड़ा किया हुआ प्रतीत हो रहा था। टीम ने जब पेड़ की जांच की तो पाया कि वह पूरी तरह सूख गया है, जो नीचे की तरफ से सड़ भी रहा था। टीम ने बिल्डिंग निर्माण में लगे मजदूरों से पेड़ के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि ठेकेदार के कहने पर कल ही रात को गड्ढा खोदकर उक्त पेड़ को वहाँ खड़ा किया गया है। इसके लिए उन्हें ठेकेदार ने अतिरिक्त मजदूरी दी। काफी पूछताछ के बाद जब ठेकेदार के मुंशी ने ठेकेदार के बारे में बताने पर अनिभिज्ञता व्यक्त की तो टीम मुंशी को पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई।
इधर मौके से वन विभाग की टीम ने काटे गए चन्दन के पेड़ के सैम्पल लेने के साथ ही अहम साक्ष्य भी जुटाए है।इस मामले पर डी. एफ.ओ. तराई अभिलाषा का कहना था कि बिना इजाजत कोई भी चंदन के पेड़ का काट या उखाड़ नहीं सकता । यदि ऐसा पाया गया तो कार्यवाही अवश्य होगी ।कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल ने कहा कि बिना अनुमति के पेड़ काटने या उखाड़ने पर इंडियन फॉरेस्ट एक्ट 1927 तथा ट्री प्रोटेक्शन एक्ट 1976 के तहत कार्यवाही अमल में लाई जाती है।