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संग्रांद, हाईएल्टीट्यूड की मखमली घास और मक्खन के साथ राधा-कृष्ण


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उत्तरकाशी:उत्तराखंड की धरती को जहां प्रकृति ने अद्भुत खुबसूरती दी है, वहीं यहां के निवासियों में इसी प्रकृति के प्रति प्रेम जताने या यूं कहें प्रकृति का आभार जताने का गुण भी दिया है। प्रकृति इंसानों को जो भी दे, उसके उपभोग के बदले उसका धन्यवाद करना उत्तराखंड की संस्कृति है। इसी का एक हिस्सा है उत्तरकाशी जिले के दयारा बुग्याल में प्रतिवर्ष होने वाला बटर फेस्टिवल।

भाद्रपद माह की संक्रांति पर यहां दूध, मक्खन, मट्ठे की होली मनाई जाती है। यह प्रकृति का आभार जताने का आयोजन है। 17अगस्त को भी दयारा में घी संग्रांद पर बटर फेस्टिवल मनाया गया। मेले का शुभारंभ समेश्वर देवता के सानिध्य में हुआ। पांडव नृत्य के बाद पारंपरिक रूप से राधा-कृष्ण संग मटकी तोड़कर दूध-मक्खन की होली खेली गई। इस दौरान ग्रामीण मखमली घास पर रासों नृत्य में भी झूमते नजर आए। देवता अपने पश्वा पर अवतरित हुए और भक्तों को आशीष दिया।

प्रकृति का आभार जताने के लिए आयोजित किये जाने वाले इस फेस्टिवल को दयारा पर्यटन उत्सव समिति और ग्राम पंचायत बीते कई वर्षों से मनाती आ रही है। पर्यटक भी इस अनूठे उत्सव का हिस्सा बनते आ रहे हैं।

इस मौके पर दयारा पर्यटन उत्सव समिति के अध्यक्ष अध्यक्ष मनोज राणा, सचिव सुरेश रतूड़ी, ग्राम प्रधान शुशीला राणा, ग्राम प्रधान महेंद्र पोखरियाल, क्षेत्र पंचायत सदस्य रैथल अंकिता राणा,पंच मालगुजार रैथल गजेन्द्र राणा,पंच मालगुजार नटीन बचन सिंह रावत, पंच मालगुजार क्यार्क शिवेन्द्र सिंह राणा,पंच मालगुजार बन्द्राणी सुन्दर सिंह भण्डारी,पंच मालगुजार भटवाड़ी भगवती नौटियाल, रेंजर रमेश नौटियाल , पर्यटन अधिकारी,वन निगम अधिकारी, पूर्व प्रधान भटवाड़ी संजीव नौटियाल, महिला मंगल दल,युवक मंगल दल एवं सोमेश्वर देवता पलगेर राजकेन्द्र थनवाण मनवीर रावत के साथ ही पुलिस वन विभाग,पर्यटन विभाग, गढ़वाल मंडल विकास निगम, जल संस्थान के अधिकारी कर्मचारी भी मौजूद रहे।

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