श्रीनगर। राजकीय उप जिला अस्पताल श्रीनगर के डाक्टरों की टीम ने एक मरीज के कान के ट्यूमर को निकालकर राहत दिला दी। अस्पताल में पहली बार कर्णमूल ग्रंथि के ट्यूमर (Pleomorphic adenoma of Parotid Gland) निकालने के लिए सर्जरी की गई है। डॉक्टरों की माने तो यह ऑपरेशन काफी रिस्की होता है। चुनिंदा ईएनटी (कान, नाक एवम गला) सर्जन ही इसे अंजाम देते हैं।
नेपाल निवासी 50वर्षीय मरीज राजकुमार के एक कान के बाहर पिछले आठ माह से गांठ बननी शुरू हुई। कुछ दिन पूर्व उसने उप जिला अस्पताल में ईएनटी सर्जन डॉ दिग्पाल दत्त से चेकअप कराया। डा. दिग्पाल ने उसकी गांठ की एफएनएसी ( फ़ाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी ) कराई। जांच में पैरोटिड ग्लैंड ( कर्ण मूल ग्रंथि कई जानवरों में एक प्रमुख लार ग्रंथि है। मनुष्यों में दो ग्रंथियाँ मुंह के दोनों ओर और दोनों कानों के सामने मौजूद होती हैं । यह लार ग्रंथियों में सबसे बड़ी हैं। प्रत्येक पैरोटिड मैंडिबुलर रेमस के चारों ओर लिपटा होता है,और मुंह में पैरोटिड वाहिनी के माध्यम से लार स्रावित करता है, जिससे चबाने और निगलने में आसानी होती है और स्टार्च का पाचन शुरू होता है । ) का ट्यूमर बताया गया। इसे प्लियोमोर्फिक एडेनोमा (Pleomorphic adenoma of Parotid Gland) बोलते हैं।
उसके बाद उसका अल्ट्रासाउंड करवाया गया। रेडियोलॉजिस्ट डा रचित गर्ग ने भी Pleomorphic adenoma of Parotid Gland की पुष्टि की। तत्पश्चात डा दिग्पाल ने मरीज की सर्जरी कर गांठ निकालने का निर्णय लिया।
बुधवार को वरिष्ठ सर्जन डॉक्टर लोकेश सलूजा और ईएनटी सर्जन डॉक्टर दिग्पाल दत्त ने मरीज का सफलतापूर्वक आपरेशन कर गांठ निकाल दी।
डा सलूजा ने बताया कि उप जिला अस्पताल में इस टाइप का ऑपरेशन पहली बार हुआ है। पैरोटिड ग्लैंड का ट्यूमर खतरनाक होता है। मुंह की मुख्य नस इस ग्लैंड के बगल से निकलती है। इसलिए यह सर्जरी जटिल मानी जाती है। इस वजह से कुछ ही ईएनटी सर्जन ही यह रिस्क लेने को तैयार होते हैं।