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मूल निवास को लेकर स्वाभिमान आंदोलन का बागेश्वर से हुआ आगाज, सैकड़ों ने फूंकी भू कानून की प्रतियां


बागेश्वर: आजादी की जंग से लेके राज्य के कई आंदोलनों को धार देने वाले बागेश्वर के सरयू तट पर सोमवार को मूल निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति उत्तराखंड के साथ सैकड़ों युवाओं ने भू-कानून की चिता फूँकी और उसकी प्रतियों को सरयू में प्रवाहित किया।
सरयू नदी के तट पर बागेश्वर में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए मूल निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष संयोजक मोहित डिमरी और सह संयोजक लुशुन टोडरिया ने कहा कि बागेश्वर की जमीन आंदोलन की जमीन रही है। चाहे देश की आजादी का आंदोलन रहा हो या उत्तराखंड राज्य आंदोलन। इस जमीन ने आंदोलन को धार दी है। बाबा बागनाथ की जमीन से एक बार फिर बड़े आंदोलन की शुरूआत हो रही है। बाबा बागनाथ के आर्शीवाद से मूल निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति आंदोलन को आगे बढ़ाएगी।

सरयू नदी के तट पर स्थायी निवास की प्रतियां बहाते हुए युवाओ ने कहा कि अब लड़ाई आर पार की होगी।
सरकार ने जल्द मूल निवास 1950 लागू नहीें किया तो उत्तराखंड राज्य आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन उत्तराखंड में होगा। पहाड़ी आर्मी के अध्यक्ष हरीश रावत, बेरोजगार संघ कुमांऊ के संयोजक भूपेंद्र कोरगा, कार्तिक उपाध्याय ने कहा कि हमें हिमाचल की तर्ज़ पर सशक्त भू-कानून चाहिए। सीमित मात्रा में बची कृषि भूमि की खरीद फरोख्त पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए। समिति के सदस्य अनिल डोभाल, दीपक ढोंडियाल, प्रांजल नौडियाल, मनीष सुंदरीयाल, सौरभ भट्ट, मंयक चौबे, जितेंद्र रावत, योगेश कुमार, बसंत बल्लभ, देवेंद्र बिष्ट, विनीत सकलानी, प्रकाश बहुगुणा, हरेंद्र सिंह कंडारी, सुमित कुमार नें अंकिता भंडारी के हत्यारों को भी फांसी देने और कथित वीआईपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग उठाई गई।

उन्होंने कहा आज बाहर से आने वाले लोगों ने अपने फर्जी स्थाई निवास बनाकर हमारे संसाधनों पर डाका डाल दिया है। नौकरियां, जमीन से लेकर हर तरह के संसाधनों को लूटा जा रहा है। मूल निवासी अपने ही राज्य में धक्के खाने के लिए मजबूर है।
इस मौके पर जितेंद्र रावत, नारायण सिंह बिष्ट, जसवंत सिंह बिष्ट, महेंश चंद्र पांड़े, आनंद सिंह, दयाल सिंह पुंडीर, गोविंद सिंह, केदार सिंह कारंगा, अवतार सिंह, भूपेंद्र सिंह, शेखर भट्ट, ललित सिंह. मेहता, सूरज दुबे, भुवन कठैत ने कहा कि आज हमारी सांस्कृतिक पहचान खतरे में है। जब हमारा राज्य बचेगा, तभी हमारे त्योहार बचेंगे।

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