देहरादून और मसूरी के बीच बनने वाला रोपवे देश का सबसे लंबा (5.5 किमी) तथा एशिया का दूसरा सबसे लंबा रोपवे होगा। यह हांगकांग के गोंगपिंग 360 (5.7 किमी) से महज सौ मीटर ही छोटा है। इस रोपवे के लिए प्रभावित ग्रामीणों ने अनापत्ति दे दी है। 16 अगस्त सोमवार को रोपवे निर्माण में स्थानीय लोगों का पक्ष जानने के लिए उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) ने उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सौजन्य से लोक सुनवाई का आयोजन किया गया। लोक सुनवाई में सभी उपस्थित ग्रामीणों ने पूर्णरूप से प्रोजैक्ट को लगाये जाने पर सहमति के साथ ही समर्थन प्रदान किया। लोगो ने स्थानीय व्यक्तियों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के साथ ही क्षेत्र के विकास की मांग भी की गई।
एडीएम जीसी गुणवंत की अध्यक्षता में सोमवार को पुरकुल स्थित प्राचीन शिव मंदिर में लोक सुनवाई का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि यह रोपवे दोनों शहरों के लिए रोमांच और पर्यटन की नई संभावनाओं के द्वार खोलने वाला साबित होगा। रोपवे के निर्माण से बड़े पैमाने पर ढांचागत विकास होगा, जिससे मौजूदा क्षेत्रों की तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी। साथ ही मसूरी में भी इससे जुड़े कई विकास कार्य होंगे, जिसका पर्यटकों और स्थानीय लोगों को लाभ मिलेगा। रोपवे से पर्यटक सुरक्षित व प्रदूषण मुक्त सफर कर सकेंगे। इसके साथ ही दून और मसूरी के बीच सुंदर प्राकृतिक दृश्य भी देख सकेंगे। रोपवे से एक घंटे में दो हजार यात्री दोनों ओर सफर कर सकते हैं। दिन भर में रोपवे का 10 घंटे तक संचालन किया जाएगा।
पर्यटकों को मिलेगी सुविधा, पर्यावरण का होगा बचाव
रोपवे निर्माण से पर्यटक दून से मसूरी 15-18 मिनट में पहुंच जाएंगे। इससे मसूरी में लगने वाले ट्रैफिक के साथ ही सुरक्षित एवं पर्यावरणीय दृष्टि से यात्रियों को सुविधाजनक यातायात का साधन सुलभ होगा।
रोपवे निर्माण के लिए ग्रामीणों ने विशेष सहयोग देने के साथ सहमति भी जताई है। इसके लिए क्षेत्र के ग्रामीण बधाई के पात्र हैं। पुरकुल गांव में रोपवे बनने से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होने के साथ क्षेत्र का तेजी से विकास होगा। विभाग इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है। —प्रशांत कुमार आर्य, निदेशक, यूटीडीबी