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Uttarkashi Cloudburst Live: रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, 65 लोगों को लाया गया मातली, हर्षिल में लैंड हुआ पहला चिनूक


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हर्षिल में लैंड हुआ पहला चिनूक

पहला चिनूक हर्षिल में लैंड कर गया है। इसमें एनडीआरएफ के जवान, एनडीआरएफ के उपकरण तथा अन्य आवश्यक सामग्री भेजी गई हैं

 

65 लोगों का रेस्क्यू , एक दर्जन मकानों को खाली कराया गया

धराली में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। कुल 65 लोगों का रेस्क्यू कर मातली लाया जा चुका है। वहीं भटवाड़ी से आगे भूस्खलन के खतरे को देखते हुए करीब एक दर्जन मकानों को खाली कराया गया है।

 

हर्षिल के धराली में सुबह से ही बचाव अभियान जारी

उत्तराखंड सरकार ने एएनआई को बताया कि हर्षिल के धराली में सुबह से ही बचाव अभियान जारी है। सुबह 9:30 बजे तक, कुल 44 लोगों को आईटीबीपी ने हेलिकॉप्टर से मातली पहुंचाया है, जहां से उन्हें सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचाया जा रहा है।

 

एयरलिफ्ट कर मातली हेलीपैड लाया गया घायल

आपदा प्रभावित धराली गांव से बचाए गए एक घायल व्यक्ति को एयरलिफ्ट कर मातली हेलीपैड लाया गया, जहां से उसे आगे के इलाज के लिए भेजा जाएगा।

धराली से निकाले गए लोगों से मिले सीएम धामी

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मातली हेलीपैड पहुंचे और धराली से निकाले गए लोगों से बातचीत की। उन्होंने प्रशासन, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ कर्मियों से भी बातचीत की, जो जल्द ही बचाव कार्यों के लिए धराली पहुंचेंगे।

 

राहत सामग्री लेकर आपदा प्रभावित इलाकों के लिए रवाना हुई टीम

उत्तरकाशी बादल फटने केबाद एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें उत्तरकाशी के मातली हेलीपैड से राहत सामग्री लेकर हेलीकॉप्टर के जरिए उत्तरकाशी जिले के आपदा प्रभावित इलाकों के लिए रवाना हो रही हैं।

 

सड़कें अवरुद्ध और क्षतिग्रस्त होने से धराली नहीं पहुंची टीम

उत्तरकाशी के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे बचाव कार्यों पर एनडीआरएफ के डीआईजी गंभीर सिंह चौहान ने कहा कि हमारे पास चार टीमें हैं, लेकिन सभी सड़कें अवरुद्ध और क्षतिग्रस्त होने के कारण वे धराली नहीं पहुंच सके। कल 35 कर्मचारी हेलिकॉप्टरों के माध्यम से पहुंचने में सक्षम थे। हेलिकॉप्टर सेवाएं शुरू होने के साथ ही कर्मचारियों और निकाले गए लोगों का आना-जाना शुरू हो गया है। संचार संबंधी समस्या भी थी, लेकिन आज सुबह से हमारे सैटेलाइट फोन काम कर रहे हैं। राज्य प्रशासन, सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ और यहां तक कि स्थानीय लोग भी खोज और बचाव कार्यों में एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं

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