उत्तराखंड सचिवालय और परिवहन विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा किया गया है। साल 2018 में नौ बेरोजगारों के साथ धोखाधड़ी के आरोपियों के बैंक खाते से लाखों रुपये के लेनदेन के प्रमाण भी मिले हैं। मामला गंभीर इसलिए हो गया था क्योकि शिकायत दी गई थी कि, फर्जी तरीके से इंटरव्यू सचिवालय में कराए गए थे। सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका की जांच भी जारी है।
देहरादून के सीओ सदर हिमांशु वर्मा ने बताया कि, पटेलनगर थाने में मनीष कुमार निवासी मुजफ्फरनगर की शिकायत पर कमल किशोर पांडेय, मनोज नेगी, चेतन पांडेय और ललित बिष्ट के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। तहरीर में लिखा गया था कि, मनीष और उसके आठ साथियों से सचिवालय और परिवहन विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर 62 लाख की धोखाधड़ी हुई है। आरोप है कि नौकरी के नाम पर ली जाने वाली कुछ रकम आईएसबीटी और सचिवालय व विधानसभा में ली गई थी। शनिवार को गिरोह के मास्टरमाइंड बीटेक कमल किशोर पांडेय को त्यागी रोड स्थित एक होटल के पास से गिरफ्तार कर लिया गया।
सचिवालय में था आना जाना-जानकारी के मुताबिक, कमल किशोर का भाई सूचना विभाग में हेड क्लर्क है। ललित बिष्ट की पत्नी लोक निर्माण विभाग में प्रशासनिक अधिकारी है। आरोपी मनोज नेगी उत्तराखंड जल विद्युत निगम पौड़ी में संविदा पर तैनात है। इस कारण से उनका सचिवालय में आना जाना लगा रहता था। आरोपियों ने सचिवालय के खाली कमरों में इंटरव्यू कराए। इंटरव्यू के दौरान मनोज नेगी ने खुद को सचिव बताता था और ललित बिष्ट अपर सचिव बताया था। जानकारी के मुताबिक आरोपी सैकड़ों युवाओं से फर्जीवाड़ा कर चुका है।
मिलीभगत की जांच जारी-आरोपियों को सचिवालय के पास कैसे मिले। इसको लेकर कई सवाल खड़े हुए है। बताया कि इस मामले में अभी जांच की जा रही है। किसकी मिलीभगत से आरोपी बेखौफ सचिवालय जैसी जगह में अपने ठगी के धंधे को अंजाम दे गए, इसकी जांच गहराई से की जा रही है।