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उत्तराखंड- तीसरे दशक की उम्मीदों का धनवान


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🖋️पार्थसारथि थपलियाल

उत्त्तराखण्ड राज्य 21 का हो गया। राज्य निर्माण की बधाई। बधाई उन्हें जिन्होंने दही में से घी लेकर छांछ जनता के लिए छोड़ दी। एक कवि के भावों में कहूँ तो- पहले भी कुछ लोगों ने जौ बो कर गेंहूँ चाहा था, हमने भी ऐसा सोचा लेकिन कब ऐसा होता है? जब मंत्रियों के निजी सचिव दलाली का काम करते हों, जब अधिकतर जनप्रतिनिधि अपनी संस्तुति के काम मे निर्धारित बजट का 25-30 प्रतिशत कमीशन खाते हैं, जब अधिकतर जनप्रतिनिधि और प्रशासकीय अधिकारी बंदरबांट करते हों, जब देव भूमि को रोहिंग्याओं की भूमि बनाने के प्रयास हों, जब जंगली हिंसक जानवरों का जीवन इन्सान के जीवन से अधिक मूल्यवान हो, जब 3000 से अधिक गांव जन विहीन हो गए हों, जब पहाड़ का पानी और जवानी मैदानों की ओर भाग रही हो, जब प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं का नितांत अभाव हो, जब कर्मचारी हर काम को कुछ कमाने या पाने की नीयत से कर रहा हो, जब देवभूमि का इस्लामीकरण और ईसाईकरण हो रहा हो तब उत्त्तराखण्ड की राजनीति करनेवाले पक्ष और विपक्ष शुतुरमुर्ग की तरह मुंह दुबकाये बैठे हों, उस समाज को राजनीति के ठेकेदारों के भरोसे देवभूमि को नही छोड़ना चाहिए।

जनता को नैतिक जनशक्ति के बल पर हिसाब पूछना चाहिए। पूछना यह भी चाहिए कि 50 साल पहले आपकी जो माली हालत थी उसमें लाखों और करोड़ों रुपये की वृद्धि के लिए राजनीति में आने के बाद वह अमरबेल आपको कहाँ से मिली। माननीय वह अमरबेल हमे भी दे दो। भाई साहब! पूछने का हक़ भी उसे होता है जिसका दामन साफ हो। एक पव्वा में बिकने वाले लोग अपना ईमान बेच चुके होते हैं। यह दिन मूल्यांकन का दिन है। सोचें विचारें।

अभी तक तो उत्त्तराखण्ड को दो राष्ट्रीय दल ही दल (पीस) रहे थे। आनेवाले समय में इंडिया अगेंस्ट करप्शन का छदमी जो दिल्ली में जनता को मुफ्तखोरी सीखा कर करप्ट कर चुका है, उसके चेहरे का गुलाबीपन अनकहे बहुत कह जाता है, उत्त्तराखण्ड में धमकने वाला है। जिसके लोग गांव गांव में बेरोजगारों को रोजगार की गारंटी और मुफ्त बिजली पानी के आश्वासन पत्र दे रहे हैं, उन्हें ये तो पूछो दिल्ली में क्या किया? दिल्ली दंगों में आप पार्टी के लोगों ने 21-22 वर्षीय उत्त्तराखण्ड के दिलबर नेगी के हाथ-पांव काटकर जब धधकती आग में फेंक दिया था तब तुम्हारा उत्त्तराखण्ड प्रेम कहाँ गस्य था? दिल्ली में इस्लाम धर्म के मौलानाओं को जनता के टैक्स में से जो वेतन दिया जा रहा है, क्या किसी पुजारी को दिया है? उत्त्तराखण्ड देव भूमि है, शक्ति और भक्ति की भूमि है। यह शौर्य भूमि है। नैतिकता की भूमि है।इसे कलुषित होने से बचाना हम सभी का कर्तव्य है।

आज के दिन उत्त्तराखण्ड की वास्तविक चिंता करने वाले सांसद (राज्यसभा) श्री अनिल बलूनी का स्मरण करना इसलिए जरूरी है कि उन्होंने अपनी स्थिति में उत्त्तराखण्ड के लिए जितना किया वह प्रशंसनीय है। वे न तो उद्घाटन और शिलान्यास के फोटो खिंचवाने में रुचि रखते हैं और शिला पट्टिकाएं लगाने में। धामी जी ने मुख्यमंत्री के रूप में धाक जमाने की अच्छी कोशिश की है, उनकी घोषणाएं अभी कार्यरूप में देखना बाकी है। डब्बल इंजन के मुखिया प्रधानमंत्र श्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद जिन्होंने उत्त्तराखण्ड को सबल बनाने में संरक्षक की भूमिका निभाई।

राज्य स्थापना का के तीसरे दशक का शरुआती दौर है। यह दसक उत्त्तराखण्ड के लिए अति महत्वपूर्ण है।। उम्मीदों का अनंत आकाश हमारे सामने है। प्रगति के मार्ग के बाधक तत्वों का शमन करना आवश्यक है। प्रश्न अपनी जगह पर और राज्य स्थापना दिवस का उत्साह अपनी जगह पर। आज के दिन हम राज्य निर्माण के संघर्ष में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले 42महा पुरुषों के योगदान को भी स्मरण करें। यह भी मूल्यांकन करें कि ऊनके सपनों को हम कितना सम्मान दे पाए हैं?
आप सभी को शुभकामनाएं।(लेखक के अपने विचार हैं)

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