राजा जो करे सब माफ। पब्लिक क्या उखाड़ लेगी। खनन माफिया से मिलीभगत का आरोप लगने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने जिस सम्पर्क अधिकारी नंदन सिंह बिष्ट को बर्खास्त कर दिया था, उसी दिन से उस PRO की बहाली भी कर दी गई। यानी पब्लिक का शानदार उल्लू बनाया गया।
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान नंदन सिंह बिष्ट का एसपी बागेश्वर को लिखा एक पत्र वायरल हुआ था। इस पत्र के द्वारा बिष्ट ने बागेश्वर के एसपी को आदेशित किया गया था कि 29 नवम्बर 2021 को जिन वाहनों को यातायात पुलिस ने चालान किया था उन्हें छोड़ दिया जाए। पत्र में दो वाहनों के नम्बर भी उल्लेखित किये गये थे। साथ में यह भी लिखा गया था कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मौखिक निर्देश पर यह पत्र लिखा जा रहा है।
यह पत्र आधिकारिक लेटर पैड पर 8 दिसम्बर को लिखा गया था। खास बात यह थी कि जिन वाहनों को छोड़ने के लिए एसपी बागेश्वर को आदेशित किया गया था उसे पुलिस ने अवैध खनन में पकड़ा था। किसी कारण यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और दस दिसम्बर को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार को घेर लिया। सीएम पर अवैध खनन के आरोपियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया गया।
खुद को घिरता देख मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आनन फानन में एसपी बागेश्वर को पत्र लिखने वाले अपने पीआरओ नंदन सिंह बिष्ट को बर्खास्त कर दिया। 11 दिसम्बर को उनकी बर्खास्तगी हुई थी। उस समय यह सफाई दी गई कि सीएम को संज्ञान में लाये बगैर यह पत्र लिखा गया।
बर्खास्तगी के बाद कांग्रेस भी चुप हो गयी। उधर, उसी पीआरओ यानी नंदन सिंह बिष्ट को छह जनवरी को जारी एक आदेश के तहत फिर से बहाल कर दिया गया है। सिर्फ बहाली ही नहीं की गई है बहाली की तारीख वही रखी गयी है जिस दिन उन्हें पद से हटाया गया था। यानी 11 दिसम्बर 2021। विपक्ष का आरोप है कि इससे साबित होता है कि मुख्यमंत्री के इशारे पर ही वह पत्र लिखा गया था और कहीं न कहीं सीएम भी अवैध खनन को शह दे रहे हैं।