☞अरुणा आर थपलियाल
गणतंत्र दिवस की सांझ को भाजपा ने उत्तराखंड की 9 और सीटों के उम्मीदवारों के नाम सार्वजनिक कर ही दिए। इससे पहले 20 जनवरी को 59 दावेदारों की सूची जारी की गई थी। अभी डोईवाला और टिहरी सीट के “सिकंदरों” का मामला अटका हुआ है, जो फाइनल तो हैं लेकिन अज्ञात कारणों से अभी इनका खुलासा करने की स्थित नहीं बनी है।
बहरहाल, इस सूची में भाजपा ने दो “फुंद्या” टाइप के सिटिंग विधायको को किनारे करते हुए इनके स्थान पर नए चेहरों को चुनाव में उतारा है। ये दोनो विधायक देशराज कर्नवाल हरिद्वार की झबरेडा और राजकुमार ठकुराल उधम सिंह नगर की रुद्रपुर सीट से हैं। इनके कारण कई बार पार्टी को असहज हालातो का भी सामना करना पड़ा। देशराज को “महफिल लूटने” का शौक रहा, जिनको मौजूदा सांसद ने ठिकाने लगवाया तो ठाकुराल को उनकी कुछ बेंजा हरकतें ले डूबी।
कोटद्वार से ऋतु खंडूरी को उतारा गया है। ऋतु के सामने अपने पिता तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी की 2012 में हुई अफसोसजनक हार का सियासी बदला लेने की चुनौती होगी।
ऋतु से ये कैसी सियासत? पिता की हार का बदला या खंडूरी से हिसाब चुकता!! https://www.northernreporter.in/archives/1355
केदारनाथ सीट पर शैला रानी रावत को टिकट दिया गया है। इस टिकट को दिलाने में 2 सांसदों का यह तर्क काम आया कि शैला बीजेपी से निस्काषित हरक सिंह रावत की करीबी रही हैं। शैला को टिकट देकर हरक सिंह रावत को ” सियासी नीचा” दिखाया जा सकता है, क्योंकि पार्टी में रहते हुए हरक केदारनाथ का टिकट हथियाना चाहते थे।
अभी 70 में से 2 सीटें पेंडिंग रखी गई हैं। इनमें से टिहरी सीट पर किशोर उपाध्याय को लेकर पेंच फंसा है। टिहरी सीट पर कांग्रेस भी इन्ही किशोर के कारण फंसी है। सर्वे रिपोर्ट इस बार दोनो पार्टियों की किशोर के पक्ष में आई हैं, इसलिए दोनो दल किशोर पर दांव खेलना चाहते हैं। पर मजबूरी यह है कि कांग्रेस ने किशोर को कुछ दिन पहले सभी दायित्वों से मुक्त कर दिया तो बीजेपी के किशोर अभी हुए नही है। इसी बीच रोज ही किशोर के बीजेपी में जाने की अफवाहें/दावे फैल रहे हैं। यदि किशोर बीजेपी में जाएं तो कांग्रेस दिनेश धन्ने से गठजोड़ करे या किसी दूसरे पर दांव लगाए। बीजेपी चाहती है कि कांग्रेस किशोर को उम्मीदवार बनाए और वह कांग्रेस के उमीदवार को झटक कर झटका दे दे।
डोईवाला सीट पर सियासी कयासबाजों के मुताबिक पहले स्व सीडीएस विपिन रावत के भाई को उतारने की बात हुई। उनकी ना पर विपिन रावत की छोटी बेटी को लेकर मंथन हुआ, लेकिन वे भी राजी नहीं हो पा रही। इसी बीच एक पूर्व सीएम अपनी लाडली के लिए जुगत लगाने में जुटे हैं। इतिफाक है कि सीडीएस रावत की बेटी की तरह इनकी कन्या भी वकालत वाली बताई जा रही हैं।