✍️अरुणा आर थपलियाल
कीचड़ में उगने वाले फूल के दल में भी अजीब दलदल हो गया है। उम्मीद आम के फलों की की जा रही थी और यहां तो पेड़ पर बबूल के कांटे निकल रहे। अरे नेताजी जब इन पांच सालों में आपन्ने जो बोया, फसल में वही तो निकलेगा। अब आपकी उम्मीद के अनुरूप नागफनी पर अमरूद तो लगने से रहा। आपके कार्यकर्ताओं और जनता को भी तो आपसे कुछ उम्मीद थी, आपने उनकी उम्मीद पर जो दिया, जनता और कार्यकर्ता आपकी उम्मीद पर उसे ही ब्याज सहित दे रहे बल।
आपको वोट नहीं चाहिए थे, आपने ही ऐसा बोला था। आपके दरबार में समस्या लेकर पहुंची जनता जनार्दन को आपने ही बोला था कि नहीं बनना आपको विधायक! आपके धौंस-पट्टी वाले ऑडियो और वीडियो सोशल मीडिया पर पब्लिक ने खूब देखे।
नेताजी को फुल घमंड। न पार्टी वर्कर को कुछ समझा, और जनता को तो सीधे औकात में रहने की धमकी। कुछ “गैर परदेशी” अपने ही गए, जिनसे पार्टी को था परहेज, उनकी झुग्गी सजा ली। सुना है इन अवांछित मनखियों को वोटर तक बना दिया। “रोहिंगिया” टाइप के वोटर का जुगड़ा जुटा तो नेताजी की एरोगेंसी बढ़नी स्वाभाविक ही थी। आखिर नागपुर वाले ताऊ भी तो आपको हल्का डांटने के सिवा कुछ नी कर पाए थे। आपके वोट बैंक का लालच उन्हे सत्ता में आने का ख्वाब जो दिखा गया।
खैर! 2017 की मोदी लहर में तो हर कोई तर गया, “पधान भट्ट जी” को छोड़कर। बस वो ही “खेत” में अटके रहे थे तब।
2022 का मामला अलग है, ये तो सबको ही बीँग जाना चाहिए था। अबकी हालात बदले हैं, इसीलिए तो हरक फरक सरक सब हो गया कमलू की पार्टी में। अन्यथा किसकी हिम्मत थी दिल्ली के सुल्तान को आंख दिखाने की जुर्रत कर पाता।
खैर, सुना है कोई चुनावी बीर बागी हो गया। आपके एरोगेंट व्यवहार के कारण दल का बड़ा हिस्सा उनके साथ चल दिया। अब इस बीर को कब्जे में लेने को सारे धुरंधर महावीर तक जुटे हैं। बीर अपने उस्ताद झाँपू च्यांपू किसी के पटाए नहीं पट रहा। लोग कह रहे कि अगर नाम वापसी के दिन तक बीर “राइट” नहीं हो पाया तो पब्लिक 14 फरवरी को एरोगेंट नेताजी की “ढेबरी टाइट” जरूर कर देगी। फिर तो न “धर्म” बचेगा और न “पुर” बचेगा, इलाके में “फूल गोभी” का ही राज सजेगा।