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14 फरवरी: जो लौट के घर न आये


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✍️पार्थसारथि थपलियाल

बहुराष्ट्रीय कंपनियां 14 फरवरी को दिवाली से अधिक आकर्षक बनाती और मानती आयी हैं। प्यार के इजहार का वह दिन है जब दो दिल मिल रहे हों, मगर चुपके चुपके। करोड़ों रुपये का धंधा सुकोमल भावनाओं को कुचलकर बाजारवादी व्यवस्था भारत में कर जाती है। प्यार के लिए दिखावे की क्या ज़रूरत? लेकिन वेलेंटाइन डे को मनाने का प्रचलन बहु राष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में लाद दिया है।

प्यार भारतीय जीवन का एक महत्वपूर्ण तत्व है। प्यार भारत की वह नारी भी अपने पति से करती है जो सीमाओं पर देश की रक्षा में तैनात है। न जाने रायफल की किस गोली पर उसकी सांस का हिसाब लिखा हुआ है? वह नारी नही जानती।
आज 14 फरवरी के दिन 2019 में पुलवामा (जम्मू-कश्मीर) में केंद्रीय रिज़र्व बल (CRPF) के वाहनों पर
जैश ए मोहम्मद के आतंकियों ने आरडीएक्स विस्फोट कर 40 से अधिक जवानों को तब शहीद कर दिया जब वे अपनी छुट्टियां बिताकर अपने प्यार को पीछे छोड़कर अपनी ड्यूटी पर जा रहे थे। किसी ने सुबह ही अपनी पत्नी से बात की थी, किसी ने श्रीनगर पहुंचकर फोन करने का वादा किया था। किसी के घर मे दो माह पहले शिशु के आने की खुशी मनाई गई थी तो किसी के खयालों और ख्वाबों में छुट्टी के बीते हुए लम्हे फ़िल्म की तरह दिखाई दे रहे थे। अनायास ही आतंकी कार्यवाही हुई किसी को संभालने का मौका नही मिला। उन्होंने अपना सर्वोच बलिदान दे दिया।

भारत ने 26 फरवरी 2019 को पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर दिया। भारतीय वैसेन ने पाकिस्तानी सेना द्वारा आतंकियों के लिए तैयार लॉन्चिंग पैड और बहुत बड़ी संख्या में आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया। भारतीय पराक्रम का दुनिया ने लोहा माना। यह है देश भक्ति!
आज के दिन हम पुलवामा के शहीद सैनिकों के प्रति आदर भाव प्रकट करें। स्वयं को राष्ट्रीय भावना से जोड़ें।

हम भारतीय समाज में और राजनीति में पनप रहे अर्बन सेकुलरवाद, अर्बन-नक्सलवाद और संविधान के नाम पर राष्ट्रविरोधी ताकतों के प्रति जागरूकता फैलाएं। भारतीय हितों को समझें। 5 राज्यों में जहां विधानसभा चुनाव प्रक्रिया हाल रही है सुयोग्य, ईमानदार और राष्ट्रीय भावनाओं से प्रेरित लोगों को अवश्य आगे बढ़ाएं। आज एक दीपक या मोमबत्ती उन शहीदों के नाम अवश्य जलाएं जिन्होंने आज के दिन अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया था और वे लौटकर अपने घर न आ सके।-
ऐ मेरे वतन के लोगों! ज़रा आंख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो क़ुर्बानी ।।

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