✍🏿पार्थसारथि थपलियाल
धूर्तों की धूर्तता पर लिखने का मन नही कर रहा था। पिछले तीन दिनों से चिंतन करता रहा। आज चेतना ने कहा- चुप नही बैठना चाहिए। लोकतंत्र लोक-लाज से चलता है, लोक-मर्यादाओं से चलता है। मुझे अपनी भावनाएं लिखने के लिए दिल्ली विधानसभा में गूंजी मसखरेपन की हँसी ने मजबूर किया।
किस्सा दिल्ली विधानसभा के इसी सत्र के दौरान का था। दिल्ली से “फ्री टु फ्रीडम” सिद्धांत के प्रतिपादक मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल की घृणास्पद हंसी मेरे चिंतन का कारण बनी। मुख्यमंत्री केजरीवाल जिस उपहासपूर्ण/मसखरेपन से “द कश्मीर फ़ाइल” फ़िल्म पर दिल्ली विधानसभा में नाट्य प्रदर्शन कर रहे थे, तो लग रहा था सनातन संस्कृति की मानवीय भावनाएं दया, करुणा, नैतिकता आदि भारत से विदा हो चुके हैं और निर्मम कंस का अवतार धरती पर हो चुका है।
विवेक अग्निहोत्री ने “द कश्मीर फ़ाइल” फ़िल्म एक वृतचित्र के रूप में बनाई। जिसमें कश्मीरी हिंदुओं पर आतंकवादियों द्वारा किये गए अत्याचारों और उससे संबंधित व्यवस्थाओं को प्रामाणिक रूप में दिखाया गया कि किस तरह 19 जनवरी 1990 को कश्मीरी हिंदुओं (पंडितों) को जूझना पड़ा। पलायन करना पड़ा। उनके अपने पड़ोसियों ने जो नरसंहार किया, जो कत्ल किये, वे झकझोर देने वाले हैं। जिनके साथ बचपन बीता उन्होंने ही अमानवीय पीड़ाएँ दी। उस फिल्म को मुख्यमंत्री केजरीवाल ने जब झूठी फ़िल्म बताया तो लगा जैसे रामलीला में रावण कोई डायलॉग बोल रहा हो उनके पीछे बैठी दिल्ली की MLA को तो मानो दुनिया की अपार खुशी मिल गई हो! इसे कहते हैं इंसानियत का गिरना। कहते हैं कि इंसान के गिरने से भी उसकी औकात का पता चलता है।
श्रीमान पंजाब में छींका टूटने से फैले रायते की रीत सामने आने लगी है। पंजाब के मुख्यमंत्री जब मोदी दरबार मे 50 हज़ार करोड़ रुपये प्रतिवर्ष की मांग कर रहे थे तब आप स्वयं पर हंसना भूल गए। जब आपने 10 हज़ार करोड़ प्रतिमाह महिलाओं को देने की बात की थी तब यह नही कहा था इसकी भरपाई मोदी जी करेंगे। और हां संविधान जब समानता का अधिकार देता है तब वयस्क पुरुषों के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है। दिल्ली में DTC की बसों में पुरुषों के टिकट में यह छूट क्यों नही? दिल्ली में बच्चों को भी दारू का चस्का “आप” की सरकार ने लगाया घर घर दारू पंहुंचाने की व्यवस्था “आप” ने की। यह ऊंचाई से गिरने के वे उदाहरण हैं जिनसे दिल्ली का मुफ्त धंधा चलता है। वोट के लिए सभी दल गलत सलत करते हैं, लेकिन विलखती चीखती मानवता पर विधान सभा में “आप”का व्यवहार अमानवीय था। अब भले ही कितनी ही लीप पोती कर लो। ऐसा तो दुर्दांत नक्सली भी नही करते। आपने जो यू ट्यूब पर फ़िल्म प्रदर्शित का फार्मूला अग्निहोत्री को दिया वह उन चार प्रोड्यूसर को नही दिया जिनकी फिल्मों का दिल्ली में प्रदर्शन टैक्स फ्री कर दिया था। द कश्मीर फ़ाइल को टैक्स फ्री न किया तो मर्जी “आप” की, आखिर सरकार है आपकी।”
मौलानाओं को वेतन देना जब धर्मनिर्पेक्ष हो और अन्य धार्मिक लोगों को सरकार के मद से देने से धर्मनिरपेक्षता खतरे में पड़ जाय तो इस कोई भी नही चाहेगा। मर्जी आपकी।
अरविंद केजरीवाल जी कभी समय मिले तो चिंतन मनन करना कि ऐसा करके क्या आपने मानवता के विरुद्ध अपराध किया है? वह हिन्दू हो या किसी भी धर्म के, कश्मीर में जो हुआ था वह अमानवीय था। हर जगह मसखरी भली नही होती। आपकी खिसियानी हँसी मानवता के जख्मों को गहरा कर गई।
काहू पे हँसिए नही हँसी कलह को मूल
हंसी ही तै है भयो कुल कौरव निर्मूल।