महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा देने के बाद एक सप्ताह पूर्व वह देहरादून पहुंचे थे। उसके बाद से उनके आवास पर भाजपा नेताओं और धामी सरकार के मंत्रियों का आवागमन लगा हुआ है। इस कारण संभावना जताई जा रही थी कि कोश्यारी राजनीति में सक्रिय हो सकते हैं। लेकिन, शुक्रवार को प्रेस क्लब में उन्होंने स्पष्ट कहा सक्रिय राजनीति से वह दो माह पूर्व ही दूर हो चुके हैं। कोश्यारी ने कहा कि पार्टी ने सांसद, विधायक और राज्यसभा सदस्य बनने का मौका दिया। सीएम बनाया। महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य का राज्यपाल बनाया। अब उन्हें कोई पद नहीं चाहिए। कहा कि अब मेरे लिए स्वस्थ समाज और स्वस्थ वातावरण ज्यादा महत्वपूर्ण है। कहा कि हम लिखने-पढ़ने वाले लोग हैं। पठन-पाठन-लिखन मार्गदर्शन हमारी विशिष्टता होनी चाहिए।
उत्तराखंड में पावर सेंटर बने रहने क इच्छा पर कोश्यारी ने कहा कि अगर पावर सेंटर ही बनना होता तो महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य के राज्यपाल का पद क्यों छोड़ते? कहा कि वैसे भी यहां पावर सेंटर बहुत हैं। भाजपा की सदस्यता के बारे में पूछे जाने पर पूर्व राज्यपाल कोश्यारी ने स्पष्ट किया कि जब मैं भाजपा का सदस्य नहीं था तब भी राष्ट्र निर्माण में निरंतर सहयोग करता था। कोई भी अच्छा काम करेंगे मैं उनके साथ रहूंगा। यदि गलत काम करेंगे तो एक घंटा भी मौन नहीं रहूंगा।
उद्धव को सज्जनता का मिला नुकसान :महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार के साथ अपनी तनातनी पर भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि उद्धव ठाकरे सीधे, सच्चे और सज्जन व्यक्ति हैं। यदि वह सज्जन न होते तो उनकी पार्टी नहीं टूटती। महाराष्ट्र में राज्यपाल पद पर रहते हुए उनके द्वारा दिये गये कुछ बयानों पर कहा कि मेरे से कहीं भी गलती होगी तो मैं छोटे बच्चे से भी माफी मांग लूंगा। छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में मैंने कभी बुरा नहीं बोला। ऐसे व्यक्ति के बारे में कौन बुरा बोल सकता है।