श्रीनगर।राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) उत्तराखंड में केंद्रीय विद्यालय एसएसबी श्रीनगर और जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पौड़ी की ओर से एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति )2020 की समझ शीर्षक पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला का उदघाटन मुख्य अतिथि एनआईटी के निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी, विशिष्ट अतिथि केंद्रीय विद्यालय एसएसबी श्रीनगर के प्रधानाचार्य मनीष भट्ट , जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पौड़ी के प्रवक्ता शिव कुमार भरद्वाज, सेवायोजन एवम कौशल विकास विभाग की सांख्यिकीय सहायिका अर्चना सजवान ने किया ।
इस अवसर पर प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि 29 जुलाई को शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार ने एनईपी 2020 की तीसरी वर्षगांठ और दूसरे अखिल भारतीय शिक्षा समागम के आयोजन के मद्देनजर इस कार्यशाला सहित पत्रकारवार्ता का आयोजन किया जा रहा है इसका उद्देश्य एनआईटी उत्तराखंड में एनईपी 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु उठाये गये आवश्यक कदमों से आम जनमानस को अवगत कारन है। उन्होंने कहा कि सचिव उच्च शिक्षा, के. संजय मूर्ति के सुझाव पर इस कार्यक्रम का नाम “एनईपी की समझ” रखा गया है और यह एक संयुक्त प्रयास है जिससे की हम एनईपी को जनमानस तक पहुचाये।
उन्होने श्रोताओ के समक्ष राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की परिकल्पना, उद्भव और उद्देश्यों के साथ साथ इसकी प्रमुख नीतियों के बारे में एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत हुए कहा 29 जुलाई 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दी गयी थी। इस शिक्षा नीति को तैयार करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय (जिसे वर्तमान में शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाता है) ने जनवरी 2015 से ही एक अभूतपूर्व सहयोगात्मक, समावेशी और अत्यधिक भागीदारी वाली परामर्श प्रक्रिया शुरू कर दी थी और देश के विभिन्न राज्यों से प्राप्त लगभग 2 लाख से अधिक सुझावों के आधार पर यह नीति तैयार की गयी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 ने जुलाई 2020 में सन 1986 से चली आ रही 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रतिस्थापित कर दिया।”
उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा को संकीर्ण सोच से बाहर निकालकर 21वीं सदी के आधुनिक विचारों से जोड़ने की परिकल्पना पर आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्कूली शिक्षा के साथ तकनीकी शिक्षा और उच्च शिक्षा क्षेत्र में विभिन्न परिवर्तनकारी सुधारों के माध्यम से देश की युवा पीढ़ी को अधिक कुशल, आत्मविश्वासी, व्यावहारिक और गणनात्मक बनाने का लक्ष्य निहित है और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एनईपी 2020 में शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ स्कूलों और उच्च शैक्षणिक संस्थानों के मार्गदर्शन के लिए कई मूलभूत सिद्धांतों का समावेश किया गया है। स्कूली शिक्षा के लिए प्रासंगिक कुछ प्रमुख सिद्धांतों का जिक्र करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि एनईपी २०२० में विद्यालयी शिक्षा के लिए निम्लिखित बिंदुओं पर जोर दिया गया है :
स्कूली शिक्षा के लिए प्रासंगिक कुछ प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं :
1 प्री-प्राइमरी स्कूल से माध्यमिक स्तर तक स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना
2 3-6 वर्ष की आयु को बच्चों की मानसिक क्षमता के विकास के लिए विश्व स्तर पर एक महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है। इसीलिए 3-6 वर्ष के बीच के सभी बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान 10+2 प्रणाली को क्रमशः 3 से 8, 8 से 11, 11 से 14 और 14 से 18 वर्ष की आयु के अनुरूप एक नई 5+3+3+4 पाठ्यक्रम संरचना द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना।
3 स्कूल न जाने वाले लगभग 2 करोड़ बच्चों को मुक्त विद्यालयी शिक्षा प्रणाली के माध्यम से मुख्य धारा में वापस लाना ।
4 बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता पर जोर के साथ स्कूलों में विज्ञान, कला और व्यावसायिक पाठ्यक्रम बीच अलगाव को समाप्त करना और व्यावसायिक शिक्षा का शुभारम्भ कक्षा 6 से इंटर्नशिप के साथ शुरू करना जिसका उद्देश्य शिक्षा के साथ छात्रों के कौशल का विकास करना है ।
5 बहुभाषावाद और भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर जोर जिसके तहत कम से कम कक्षा 5 तक शिक्षा का माध्यम घरेलू भाषा/मातृभाषा/स्थानीय भाषा/क्षेत्रीय भाषा होगी और किसी भी छात्र पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी।
6 छात्रों के समग्र विकास के लिए उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण करने के लिए एक नए राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र, परख, की स्थापना का प्रावधान
7 एनसीईआरटी के परामर्श से नेशनल कॉउन्सिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन द्वार एक नया और व्यापक नेशनल करिकुलम फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीएफटीई) का निर्माण करना इत्यादि कुछ प्रमुख बिंदु है
उच्च और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में एनईपी कि भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा में सुधारात्मक परिवर्तन के लिए एनईपी में नौ विषयों की पहचान की गयी है जिसमे बहुविषयक और समग्र शिक्षा; कौशल विकास और रोजगार; अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता; गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों का क्षमता निर्माण; गुणवत्ता, रैंकिंग और मान्यता; डिजिटल सशक्तिकरण और ऑनलाइन शिक्षा; न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा; भारतीय ज्ञान प्रणाली; और उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण का उल्लेख किया गया है। इन बिंदुओं कि पूर्ति के लिए शिक्षा नीति में लचीले पाठ्यक्रम के साथ बहु-विषयक, समग्र स्नातक शिक्षा की परिकल्पना की गई है।
• स्नातक स्तर पर विषयों के रचनात्मक संयोजन, व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण और उचित प्रमाणीकरण के साथ एकाधिक प्रवेश और निकास बिंदु का प्रावधान रखा गया है।
• इसके अलावा क्रेडिट के हस्तांतरण की सुविधा के लिए अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की स्थापना, आईआईटी और आईआईएम के बराबर देश में बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय (एमईआरयू) की स्थापना एवं उच्च शिक्षा में एक मजबूत अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन कि स्थापना करने का प्रावधान है।
• चिकित्सा और कानूनी शिक्षा को छोड़कर अन्य सभी के लिए उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई), जो चार स्वतंत्र कार्यक्षेत्रों जैसे – विनियमन के लिए राष्ट्रीय उच्च शिक्षा नियामक परिषद (एनएचईआरसी), मानक निर्धारण के लिए सामान्य शिक्षा परिषद (जीईसी), वित्त पोषण के लिए उच्च शिक्षा अनुदान परिषद (एचईजीसी), और मान्यता के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (एनएसी) के साथ, एक एकल व्यापक छत्र निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा।
प्रोफेसर अवस्थी कहा कि उपरोक्त बिन्दुओ पर गौर किया जाए तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 केवल शिक्षा सुधार के लिए लाई गई नीति नहीं है, बल्कि यह शिक्षा के माध्यम से गुलामी की मानसिकता से उबरने और प्राचीन भारतीय मूल्यों और संस्कृति के पुनरोत्थान के लिए लाई गई नीति है।
महानतम वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के कथन “हम प्राचीन भारतीयों के बहुत आभारी हैं जिन्होंने हमें गिनती करना सिखाया। जिसके बिना अधिकांश आधुनिक वैज्ञानिक खोजें असंभव होतीं” का जिक्र करते हुए कहा कि आइंस्टीन का ये कथन हमें अपनी प्राचीन ज्ञान पद्धति की महत्ता का वर्णन करने के लिए पर्याप्त है । उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत में, हमारे नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय अपनी शैक्षिक क्षमता के लिए विश्व प्रसिद्ध थे। दुनिया भर से छात्र यहां खगोल विज्ञान, धर्मशास्त्र, दर्शन, नगर-नियोजन, तर्कशास्त्र जैसे विभिन्न क्षेत्रो में अंतर-विषयक और बहु-विषयक ज्ञान हासिल करने के लिए आते थे। परन्तु आज स्थिति विपरीत है। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारतीय शिक्षा को वैश्विक भूमिका निभाने के लिए फिर से उन ऊंचाइयों पर ले जाने का एक अवसर है और इसके पूर्ण रूपेण कार्यान्वयन से भारत पुनः विश्व गुरु के रूप में उभरेगा। । इसीलिए एनआईटी, उत्तराखंड इस शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है और संस्थान में इसे सफलतापूर्वक लागू करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जा रहा है। प्रोफेसर अवस्थी ने इस अवसर एनआईटी उत्तराखंड में एनईपी के क्रियान्वयन के लिए किये गए कार्यो कि जानकारी देते हुए कहा कि अभी तक शोधगंगा पोर्टल पर संस्थान से अब तक निर्गत कुल पर 19 पूर्ण पाठ्य पीएचडी थीसिस को अपलोड किया जा चुका है जिससे इस ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से स्नातक करने वाले पीएचडी छात्रों की संख्या पर प्रामाणिक डेटा प्राप्त करने में सुविधा होगी।
एकेडमिक बैंक क्रेडिट के तहत एनआईटी उत्तराखंड द्वारा अब तक 469 अकाउंट बनाए जा चुके हैं। एकेडमिक बैंक क्रेडिट मुख्यतः आभासी/डिजिटल भंडारगृह है और यह छात्रों को उनकी शैक्षणिक यात्रा के दौरान अर्जित क्रेडिट की जानकारी संगृहीत करता है। साथ ही यह छात्रों को कॉलेजों या विश्वविद्यालयों में प्रवेश करने और छोड़ने के लिए कई विकल्प प्रदान करने में सक्षम होगा।
डिजिलॉकर प्लेटफॉर्म को अपनाते हुए स्नातक छात्रों के डिग्री एवं प्रमाण पत्र अब डिजिलॉकर में उपलब्ध कराये जा रहे है। इस प्लेटफॉर्म पर कुल 1809 डिग्रियां और 2837 मार्कशीट अपलोड किये जा चुके है । जिनमें से अब तक दर्ज कुल 4646 पुरस्कार में से 95 पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। इस कार्यक्रम के द्वारा एनआईटीयूके एक ओर जहां भारत को कागज रहित बनाने में योगदान दे रहा है वहीं दूसरी ओर यह “छात्रों को सार्वजनिक क्लाउड पर सुरक्षित दस्तावेज़ ” प्रदान कर रहा है।
विभिन्न विभाग द्वारा बी.टेक/एम.टेक छात्रों के लिए 1 या 2 क्रेडिट के विशेष मॉड्यूल कार्यक्रम के साथ वोकेशनल -श्रेणी पाठ्यक्रम एवं एफडीपी/एसटीसी/एसटीटीपी/कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
मल्टीपल एंट्री मल्टीपल एग्जिटके माध्यम से एन आई टी उत्तराखंड ने डिप्लोमा/डिग्री पूरा करने कि बाध्यता को समाप्त करने और बीच में बाहर निकलने की दशा में छात्रों को कोई नुकसान न हो यह सुनिश्चित करनेकी कोशिश है साथ ही सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में सुधार के साथ ड्रॉपआउट दर को कम करने की दिशा में समाधान प्रदान किया है।
इंजीनियरिंग की प्रत्येक शाखा में यूजी और पीजी दोनों स्तरों के लिए माइनर और मेजर डिग्री का प्रावधान किया गया है जो नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप सभी के लिए बहु-विषयक और लचीली शिक्षा का आह्वान करता है और एक साथ दो डिग्री प्रदान करके छात्रों के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन करने मदद करता है।
इन कार्यो के अलावा एनआईटी उत्तराखंड पाठ्यक्रम सामग्री को कम करके और विश्लेषणात्मक और तार्किक सोच, प्रायोगिक शिक्षा, परियोजना आधारित शिक्षा और रचनात्मकता जैसे 21 वीं सदी के कौशल पर ध्यान केंद्रित करके छात्रों के समग्र विकास पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसके लिए संस्थान के पाठ्यक्रम में स्वयं/एनपीटीईएल/और मूक कोर्सेज शामिल किए गए हैं।
सभी विभागों के सभी पाठ्यक्रम को भी करिकुलम डेवलपमेंट वर्कशॉप माध्यम से एनईपी के अनुसार संशोधित किया गया है
अगले सेमेस्टर से पाठ्यक्रम में सी, जावा और पायथन में प्रोग्रामिंग का उपयोग डाटा स्ट्रक्चर, डाटा साइंस और मशीन लर्निंग जैसे पाठ्यक्रमों को शामिल किया जायेगा
बीटेक और एमटेक छात्रों के लिए पाठ्यक्रम में इंटर्नशिप शुरू की गई है।
एनईपी के दिशानिर्देशों के अनुसार छात्रों के समग्र विकास के लिए बहु विषयक और बहु संस्थागत शिक्षा प्रदान करने, ज्ञान सृजन और अदन प्रदान के लिए विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
प्रोफेसर अवस्थी ने जानकारी दी कि एनआईटी उत्तराखंड निकट भविष्य में स्कूल टीचर्स और बच्चो के लिए एनईपी पर कार्यशाला आयोजन और इसके सफलतापूर्वक कार्यान्वयन के लिए लघु वीडियो प्रतियोगिता के आयोजित करने की योजना पर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस ” एनईपी की समझ ” कार्यशाला से हम अपने एनईपी के सभी आयामों को जनमानस तक पहुंचाने में अवश्य सफल होंंगे।
कार्यक्रम के दौरान एनआईटी के कुलसचिव डॉ धर्मेंद्र त्रिपाठी, डीन अकादमिक डॉ लालता प्रसाद, कार्यक्रम संचालिका डॉ रेनू बडोला डंगवाल, एन ई पी के समन्वयक डॉ नितिन शर्मा, डॉ सरोज रंजन आदि मौजूद थे।