देहरादून, 22जुलाई :
आखिरकार उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस में बडा
बदलाव हो ही गया। कई दिनों की मशक्कत के बाद प्रदेश अध्यक्ष को बदलने के साथ ही विधानसभा चुनाव प्रचार का जिम्मा हरीश रावत को सौप दिया गया है। प्रदेश अध्यक्ष को छोड़ दिया जाए तो अधिकतम पदों पर हरीश रावत खेमा ही काबिज हुआ है। एक तरह से माना जाए तो पार्टी हाईकमान ने उत्तराखंड की बागडोर हरीश रावत को सौंप दी है।
बीते महीने जून में नेता प्रतिपक्ष सीनियर पार्टी लीडर इंदिरा हृदयेश का निधन हो गया था। इस कारण कांग्रेस पर विधानसभा के सदन के लिए नया नेता चुनने का दबाव था। बहुत जल्द मानसून सत्र शुरू होनेवाला है। नेता प्रतिपक्ष का सदन का सदस्य होना और संसदीय मामलो के अचछे जानकार होना भी जरूरी है। इस समीकरण मे मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह फिट बैठे। लिहाजा, प्रीतम को ही यह जिममेदारी सौपी गई। हरीश रावत के समर्थकों ने इस हालात का लाभ उठाते हुए अध्यक्ष पद के लिए रावत का नाम चला दिया था। इसके लिए पार्टी के एक व्यक्ति-एक पद का हवाला दिया गया कि प्रीतम एक साथ दो-दो अहम जिम्मेदारी नही निभा सकते हैं।
जानकारों का कहना है कि प्रीतम पार्टी अध्यक्ष पद तो छोडना चाहते थे, मगर यह कतई नही चाहते थे कि हरीश रावत को यह मौका दिया जाए। इसी कारण लगभग डेढ महीने से नेता प्रतिपक्ष का चयन अटका हुआ था। पिछले दिनों प्रदेश कांग्रेस
ने राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को अंतिम निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया था।
वीरवार को गांधी ने फैसला ले लिया। अध्यक्ष पद पर प्रीतम के भरोसेमंद गणेश गोदियाल को बैठाया गया है। तो हरीश रावत के हाथो मे विधानसभा चुनाव 2022 की कमान दी गई है। उन्ही के करीबी सांसद प्रदीप टम्टा को चुनाव प्रचार कमेटी में उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री दिनेश अग्रवाल को संयोजक बनाया
गया है। कुल मिलाकर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी सूची में प्रीतम गुट के नेताओं की अपेक्षा हरीश समर्थकों का बोलबाला है। अब इसे हरीश का सोनिया पर दबाव मानें या सोनिया का हरीश पर भरोसा, जो भी हो एक बार फिर बूढ़े शेर हरदा के हाथों में उत्तराखंड कांग्रेस का भविष्य दे दिया गया है।