देहरादून:
देश को मिले 65 भारतीय वन सेवा अधिकारी, लखनऊ की मृदुला रहीं बैच टापर,
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के भारतीय वन सेवा अधिकारियों का दीक्षांत समारोह
उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून स्थित आईएफएस अधिकारियों के ट्रेनिंग सेंटर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी में 10 अगस्त को वर्ष 2021-23 बैच का दीक्षांत समारोह हुआ। इसमें देश को भारतीय वन सेवा के 65 वनाधिकारी मिले हैं। वहीं भूटान के लिए दो वन अधिकारी यहां तैयार किए गए हैं। लखनऊ उत्तर प्रदेश की रहने वाली मृदुला सिंह बैच टापर रहीं, जबकि कुल्लू हिमाचल प्रदेश के गुरहर्ष सिंह नंबर वन आल राऊंड फारेस्टर रहे, उन्होंने शानदार प्रदर्शन कर कई पुरस्कार हासिल करने का कीर्तिमान बनाया है।
वर्ष 2021-23 बैच की टॉपर मृदुला सिंह को सिल्वर मेडल, वाइल्डलाईफ मैनेजमेंट, वानिक पुरस्कार समेत कई पुरस्कार मिले हैं। आल राऊंड परफारमेंस में भी वह शिखर पर रहीं। उन्हें संजय गांधी मेमोरियल पुरस्कार भी मिला। मृदुला सिंह लखनऊ उत्तरप्रदेश की रहने वाली हैं। बीटेक व आईआईटी मुंबई से एमटेक करने वाली मृदुला सिंह ने पाठ्यक्रम के दौरान जी जान से पढ़ाई और दूसरे प्रोजेक्ट्स किए। उनके पिता हरिकेश बहादुर सिंह और मां सुमन सिंह भी यही चाहते थे कि मृदुला भारतीय वन सेवा का हिस्सा बनें। मृदुला ने जीतोड़ मेहनत की और भारतीय वन सेवा का हिस्सा बन गईं।
हिमाचल के कुल्लु निवासी गुरहर्ष सिंह ने वर्ष 2021-23 बैच का टॉप ऑल राउंडर फॉरेस्टर का खिताब हासिल करते हुए नीलगिरी वाइल्ड लाईफ क्लब प्राइज, सुलोचना नायडू मेमोरियल पुरस्कार, हिल मेमोरियल पुरस्कार समेत कई पुरस्कार हासिल किए। हिमाचल के कुल्लु निवासी गुरहर्ष सिंह बचपन से भारतीय वन सेवा ज्वाइन करना चाहते थे। उन्होंने आईआईटी रुड़की से भौतिकी में एमएससी किया। मां हरजिंदर कौर और पिता अवतार सिंह से इंसानियत और जीव प्रेम की प्रेरणा मिली। भले ही वह विज्ञान के छात्र थे लेकिन उनकी रुचि अध्यात्म, धर्म, दर्शन और रहस्यवाद में थी। हिमाचल का निवासी होने के नाते उनका प्रकृति से बहुत नजदीकी रिश्ता रहा। उनका कहना है कि उपभोक्तावाद और इंसानी स्वार्थ ने दुनिया को तहस नहस कर दिया है। इसलिए अगर इंसान का स्वभाव नहीं बदलता है तो ऐसी व्यवस्था करनी होगी जिससे कुदरत का अंधाधुंध दोहन नहीं होगा।
वीरवार को भारतीय वन अनुसंधान संस्थान देहरादून के दीक्षांत सभागार में आयोजित समारोह को बतौर मुख्य अतिथि वन महानिदेशक और वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के विशेष सचिव चंद्र प्रकाश गोयल थे। उन्होंने देश की वन सेवा में उतरने वाले इन नए अधिकारियों से कहा कि, सामने बहुत बड़ी चुनौतियां हैं। पिछले तीस साल की तुलना में देश में वन क्षेत्र बढ़ा है। अधिकारियों को आर्थिक प्रगति और वन संरक्षण के बीच समन्वित ढंग से काम करना होगा। नए अधिकारियों को विधि प्रशिक्षण संस्थान एनएलएसयूआई बंगलुरू का पर्यावरण विधि का पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा भी प्रदान किया गया है। इससे वन अधिकारियों की लगातार बढ़ रही भूमिका को एक और आयाम मिलेगा।
विशिष्ट अतिथि आईसीएफआरई के महानिदेशक डा. अरुण सिंह रावत ने कहा कि स्थानीय समुदायों को सशक्त करने पर ही वनों की रक्षा की जा सकती है। वन संपदा का न्यायपूर्ण हक स्थानीय लोगों को मिलना ही चाहिए। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के निदेशक भरत ज्योति ने कहा कि नए अधिकारियों को विश्व स्तरीय ट्रेनिंग दी गई है।