श्रीनगर: उत्तराखंड के पर्वतीय इलाको में हो रही बारिश कहर बनती जा रही है। आसमान से बादलों के बूंद बनकर गिरते ही लोग दहशत में आने लगे हैं। यह दहशत पहाड़ से मैदान तक फैल रही है।
श्रीनगर की ही बात लें, रविवार 13 अगस्त की देर रात से हो रही बारिश के कारण श्रीनगर जल विद्युत परियोजना को 7000 क्यूमेक्स पानी अपने बैराज से छोड़ना पड़ा, जिसके कारण अलकनन्दा नदी डेंजर लेवल को पार करते हुए 536 मीटर तक पहुच गयी है।
आज सोमवार 14 अगस्त को इसी तरह दिन भर पानी का लेवल और भी बढ़ सकता है जिसके कारण ऋषिकेष हरिद्वार देवप्रयाग के निचले इलाकों सहित श्रीनगर के निचले इलाकों को खतरा पैदा हो गया है।
अलकनन्दा नदी में अचानक पानी बढ़ने के कारण श्रीनगर जलविधुत परियोजना को भी अपना विधुत उत्पादन बन्द करना पड़ा है।आज सुबह से ही श्रीनगर के नदी किनारे रहने वाले लोग डरे सहमे हुए थे यहां श्रीकोट में जहा नदी किनारे बने हुए पार्क, एसटीपी प्लांट पूरी तरह नदी के पानी से डूब गए तो वही श्रीनगर में बने आधा दर्जन से भी ज्यादा करोड़ो की लागत से बने घाट नदी में डूब गए। जिससे इन घाटों को बड़ा नुकसान हुआ है। भक्त्यांना में बनाई गई वाटिका भी नदी के वेग के कारण तहस नहस हो गयी।
वही देवप्रयाग में भी नदी किनारे बने मकानों तक अलकनन्दा नदी का पानी आ चुका है।देवप्रयाग में नदी किनारे रहने वाले लोग डरे हुए है सुबह से ही प्रशासन नदी किनारे रहने वाले लोगो को सचेत जरूर कर रहा है।
।श्रीनगर जलविधुत परियोजना में मेनेजर शाहिद शेख ने बताया कि ऊपरी इलाके में बादल फटने के कारण अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ा है। अभी 7000 क्यूमेक्स पानी डेम के बैराज में एकत्र हुआ है जिसे छोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि 2013 की आपदा में 15000 क्युमेक्स पानी बांध में आया था। इस बार फिलहाल 7000 क्युमेक्स पानी आया है। पानी आने के कारण जलविधुत परियोजना को बिजली उत्पादन बन्द करना पड़ा है।
स्थानीय निवासी कार्तिक बहुगुणा बताते हैं कि इसी तरह 2013 की आपदा जैसा डर लग रहा है हर जगह नदी का बढ़ा हुआ रूप दिखाई दे रहा है। श्रीनगर कोतवाल रवि सैनी ने बताया कि नदी किनारे रह रहे लोगो को सचेत किया जा रहा है सुरक्षित स्थानों तक जाने की सलाह दी जा रही है उन्होंने बताया कि पानी का लेवल बढ़ सकता है।