श्रीनगर। एक दिन पूर्व श्रीनगर तहसील के ढिकवाल गांव में गुलदार के हमले में जान गंवाने वाली मासूम आइसा को ग्रामीणों ने बुधवार को नम आंखों से अंतिम विदाई दी। इससे पूर्व वन विभाग के कर्मचारियों को ग्रामीणों के गुस्से का कोपभाजन बनना पड़ा। ग्रामीण गुलदार को मारने के आदेश मिलने के बाद ही आइसा का अंतिम संस्कार करने की मांग पर अड़ गए थे। ग्रामीणों ने पोस्टमार्टम की कार्रवाई करने से भी मना कर दिया। लोगों का गुस्सा देख प्रशासन और वन विभाग की टीम ने गुलदार को पकड़ने का आश्वासन दिया। इसके बाद ही आइसा का अंतिम संस्कार हो पाया। वहीं वन विभाग ने गुलदार को पकड़ने के लिए गांव में पिंजड़ा लगा दिया है।
गत 5 सितंबर को श्रीनगर से करीब 11किलोमीटर दूर ढिकवाल गांव में 3 साल की आइसा पुत्री गणेश नेगी को गुलदार उसकी दादी के हाथ से खींचकर ले गया था। ग्रामीणों की ओर से पीछा किए जाने पर गुलदार उसे छोड़कर भाग गया। इस दर्दनाक घटना में आइसा ने दम तोड़ दिया।
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में वन विभाग के खिलाफ भारी आक्रोश देखने को मिला। ग्रामीणों ने आइसा का अंतिम संस्कार करने से भी मना कर दिया। लेकिन वन कर्मियों और प्रशासन के मनाने के बाद देर शाम आइसा का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
ढिकाल गांव के ग्रामीणों ने बताया कि बीते एक महीने से इलाके में गुलदार की दहशत बनी हुई है। कई बार गुलदार लोगों को दिखाई दिया था. इसके अलावा गुलदार के शावक भी नजर आए थे। जिसकी सूचना उन्होंने वन विभाग को दी, लेकिन वन विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिसका खामियाजा तीन साल की आइसा को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। वहीं, स्थानीय निवासियों ने कहा कि कई बार कहने के बावजूद भी गुलदार को पकड़ने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। भय से ग्रामीण बाहर निकलने से डर रहे हैं।
इधर, उप प्रभागीय वन अधिकारी लक्की साह ने बताया कि गुलदार को पकड़ने के लिए दो टीमों का गठन किया गया है। जिसमें 12 सदस्य शामिल हैं। टीम दिन रात गांव के आस पास गश्त करेगी। साथ में कैमरा ट्रैपिंग, ड्रोन कैमरों की भी मदद से गुलदार को ढूंढने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उपजिलाधिकारी श्रीनगर नूपुर वर्मा ने बताया कि गुलदार को ट्रेंकुलाइज करने के संबंध में आदेश जारी किए गए हैं। आदेश में कहा गया है कि अगर परिस्थितियां अनुकूल नहीं रहती तो गुलदार को मार दिया जाएगा। बच्ची के परिजनों को मुआवजे के रूप में 30 फीसदी धनराशि दे दी गई है। जबकि, 70 फीसदी धनराशि देने की कार्रवाई चल रही है।