देवप्रयाग। अलकनंदा और भागीरथी नदी के समीप स्थित प्राचीन रघुनाथ मन्दिर में प्रतिमा का स्पर्श करने की जिद करने पर दक्षिण भारत के जीयर मठ के प्रमुख स्वामी चिन्ना रामानुज को पुजारी व तीर्थपुरोहितो का कड़ा विरोध झेलना पड़ा। भगवान रघुनाथ की मूर्ति का स्पर्श किये जाने के लिए उनके शिष्यों ने पुजारी पर काफी दबाब बनाया । लेकिन विरोध के बाद स्वामी चिन्ना और उनके शिष्य भगवान को प्रणाम करके निकल गए।
रविवार को जीयर मठ के प्रमुख स्वामी चिन्ना रामानुज शिष्यों के साथ रघुनाथ मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने भगवान रघुनाथ के दर्शन करते हुए प्रतिमा को छूने की ईच्छा प्रकट की। पुजारी समीर पंचपुरी ने प्राचीन काल से आ रही परंपराओ व टिहरी रियासत काल में बने नियमो का हवाला देते उन्हें गर्भ गृह में जाने से रोक दिया। जिस पर शिष्यों ने जियर स्वामी से जुड़े प्रोटोकॉल की बात रखी गयी।
उनके जिद करने पर श्री रघुनाथ मन्दिर समिति के अध्यक्ष कृष्ण कांत कोटियाल को भी इस मामले में हस्त क्षेप करना पड़ा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि पुरातन समय से भगवान श्री रघुनाथ की मूर्ति का पुजारी के अलावा कोई भी स्पर्श का अधिकारी नहीं है। यहाँ तक कि भगवान के पुजारी तक का कोई स्पर्श नहीं कर सकता। बदरीनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित समाज के आराध्य भगवान् रघुनाथ को टिहरी नरेश भी अपना कुल देवता मान अर्चन पूजन करते थे। तीर्थ पुरोहितों के अनुसार दक्षिण भारत से लेकर नेपाल तक देवप्रयाग स्थित भगवान रघुनाथ की मान्यता है। भगवान बदरीविशाल की मूर्ति की भाँति भगवान रघुनाथ की मूर्ति का भी कोई स्पर्श नही कर सकता। दक्षिण भारत के तीर्थपुरोहित विनोद पंडित के अनुसार जीयर स्वामी मठ का मूर्ति को स्पर्श करने का हठ उचित नहीं है। उन्हें पुरातन समय से चली आ रही धार्मिक परंपराओं को पालन करना चाहिए। पुजारी व तीर्थ पुरोहितों के विरोध के बाद वह भगवान रघुनाथ को प्राणम करके वह अपने अनुयागियों के साथ बद्रीनाथ के लिये चल दिए।