☞नीरज उत्तराखंडी
जनपद उत्तरकाशी के मोरी ब्लाक के सीमांतवासी आज भी मुलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन यापन करने को मजबूर हैं। लिवाड़ी ऐलोपैथिक चिकित्सालय में विगत कई वर्षो से ताले लटके हैं। निर्माणाधीन बदहाल जखोल लिवाड़ी मोटर मार्ग में आवागमन बंद होने से ग्रामीणों को उसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है ।
आलम यह है कि शुक्रवार 27 अगस्त को जब 60 वर्षीय बुजुर्ग महिला कुला देवी पत्नी केदार सिंह ग्राम लिवाड़ी की तबीयत खराब हुई तो जखोल लिवाड़ी मोटर मार्ग बंद होने से ग्रामीणों को बुजुर्ग बीमार महिला को डंडी कंडी के सहारे 18 किमी दूर कंधे पर ढो कर जोखिम भरे मार्ग से जखोल तक पहुंचाना पड़ा।
जखोल से महिला को निजी संसाधन से सीएचसी मोरी लाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रेफर किया गया । साथ ही दूरसंचार सेवा बाधित होने से संदेश पहुंचाने में परेशानी पैदा हो रही है।
यूं कहने को तो लिवाड़ी में कागजों में ऐलोपैथिक चिकित्सालय संचालित हो रहा है लेकिन थरातलीय हकीकत यह है कि किराये के भवन में संचालित हो रहे इस अस्पताल में विगत कई वर्षो से ताला लटका है।
जिला पंचायत सदस्य जखोल वार्ड हाकम सिंह रावत का कहना है कि मुलभूत सुविधाओं के अभाव में सीमांतवासी आज भी आदिमानव की भांति जीवन यापन करने को मजबूर हैं। जखोल लिवाडी मोटर मार्ग विगत माह से बंद पडा है लेकिन निर्माण ऐजेंसी कोई सुध नहीं ले रही ।
वहीं पीएचसी मोरी के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. नितेश का कहना है कि बीमार महिला के कुल्हे पर चोट है जिसे प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है। वही कार्य की अधिकता को देखते हुए लिवाड़ी ऐलोपैथिक चिकित्सालय में कार्यरत फार्मेसिस्ट को मोरी मुख्यालय में संबंद्ध किया गया है, जो समय – समय पर लिवाड़ी में भी सेवा देते रहते हैं ।