चारधाम यात्रा शुरू होने की रह देख रहे उन सभी भक्तों, कारोबारियों, पंडे-पुजारियों को उत्तराखंड के हाईकोर्ट ने 16 सितंबर को राहत दे दी,जिनकी आजीविका इसी यात्रा पर निर्भर थी। कोर्ट ने काेरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए चारधाम यात्रा पर लगाई गई रोक को कोर्ट ने हटा दिया है। अब कुछ शर्तों के साथ राज्य सरकार को चारधाम यात्रा की अनुमति दे दी गई है। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोरोना के केस बढ़ते हैं तो सरकार इस यात्रा को रोक सकती है।
कोर्ट कहे मुताबिक श्रद्धालुओं को आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट लानी होगी। जिनको कोविड टीके की दोनों डोज लग चुकी हैं, उनको वेक्सीनेशन सर्फिफिकेट साथ लाना होगा। अदालत ने श्रद्धालुओं की आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट और वेक्सीनेशन का सर्टिफिकेट की जांच के लिए चारों धामों में चेक पोस्ट बनाने को कहा है। बदरीनाथ में पांच, केदारनाथ में तीन चेक पोस्ट बनाने के निर्देश दिए।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश ने यात्रियों की संख्या सीमित की है। एक दिन में केदारनाथ धाम में 800, बदरीनाथ धाम में 1000, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री धाम में 400 श्रद्धालुओं को ही जाने की अनुमति होगी। श्रद्धालु कुंड में स्नान नहीं कर सकेंगे।
हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि चारों धामों में मेडिकल की पूर्ण सुविधा हो। मेडिकल स्टाफ, नर्सें, डॉक्टर, ऑक्सीजन बेड और वेंटिलेटर की पर्याप्त व्यवस्था हो। यात्रा के दौरान सरकार मेडिकल हेल्पलाइन जारी करे जिससे कि अस्वस्थ लोगों को स्वास्थ्य संबंधित सुविधाओं का आसानी से पता चल सके। भविष्य में अगर कोविड के केस बढ़ते हैं तो सरकार यात्रा को स्थगित कर सकती है।
यात्रा पर लगी रोक हटाने के लिए राज्य सरकार की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर वीरवार 16 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई हुई। महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और अन्य ने सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि कोविड अब काफी नियंत्रण में है और देश के सभी धार्मिक स्थल खुले हुए हैं। यात्रा न होने से स्थानीय लोगों की आजीविका पर भी प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का हवाला देते हुए एसओपी के तहत चार धाम यात्रा की अनुमति देने की मांग की।
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