उत्तराखंड की अफसरशाही 2019 से अब तक अल्मोड़ा मेडिकल कालेज को शुरू नही करा पाई है। जुगाड़बाजी के जुगाड में लगे अफसरान के जुगाड़ अब काम नहीं आ रहे। #राष्ट्रीय_आयुर्विज्ञान_आयोग (एनएमसी) से #अल्मोड़ा_मेडिकल_कॉलेज को मान्यता मिलने की संभावना एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है। एनएमसी ने कॉलेज की मौजूदा व्यवस्थाओं को नाकाफी बताते हुए अपना दौरा स्थगित कर दिया है। आयोग के इस फैसले से लकते में आए शासन ने स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की एक टीम को दिल्ली भेजा है। देखना यह है कि एनएमसी का दौरा हो पाता है या नहीं।
प्रदेश सरकार अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में 2019 में ही एमबीबीएस प्रथम वर्ष की कक्षाएं शुरू करवाना चाहती थी लेकिन भवनों का निर्माण पूरा न होने और फैकल्टी में डॉक्टरों की कमी के कारण पिछले साल अनुमति नहीं मिल सकी। उसके बाद सरकार ने वर्ष 2020 में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के लिहाज से भवनों और अन्य तैयारियों को पूरा करने के निर्देश दिए थे लेकिन इस बार भी तैयारियां पूरी नहीं हो सकी। नतीजा यह हुआ कि आयोग ने तैयारियों को नाकाफी बताते हुए लिखित रूप में मान्यता देने से इंकार कर दिया। अब वर्ष 2021 में भी कुछ इसी तरह की आशंका दिखने लगी है। आयोग के मानकों पर खरा उतरने के लिए अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में आनन-फानन में फैकल्टी की व्यवस्था की गई। इसके तहत हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज से दस और देहरादून मेडिकल कॉलेज से 15 डाक्टरों को प्राध्यापक के तौर पर अल्मोड़ा भेजा गया। इसके बावजूद राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग ने कुछ अन्य कारणों से अपना दौरा स्थगित कर दिया है। यदि आयोग का दौरा नहीं होता है तो अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज को इस बार भी #एमबीबीएस की सौ सीटों पर दाखिला शुरू करने का मौका नहीं मिलेगा। यह राज्य सरकार की बड़ी नाकामी कहलाएगी और विपक्ष इसे मुद्दा भी बना सकता है।इस कारण शासन हरकत में आ गया है। सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा निदेशक डाक्टर आशुतोष सयाना के नेतृत्व में एक टीम दिल्ली भेजी गयी है। इस टीम को आयोग की शंकाओं का समाधान कर उन्हें कॉलजे के निरीक्षण के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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