हर साल जंगलों में आग लगने की घटनाएं हो रही हैं। सीमित संसाधनों से जूझ रहा वन विभाग वनाग्नि बुझाने में नाकाम साबित हो रहा है। अभी करोड़ों की वन संपदा आग में खाक हो चुकी है। पर्यावरण की क्षति को तो रुपयों में नहीं तोला जा सकता है। हजारों पशु पक्षियों के आशियाने छिन चुके हैं। आग में उनके मरने की आशंका को भी खारिज नहीं किया जा सकता है।
प्रत्येक वर्ष फायर सीजन शुरू होने से पूर्व वन विभाग की ओर से जागरूकता गोष्ठियों का आयोजन होता है। इसका सुखद परिणाम दिख नही रहा है।
पिछले10-12 दिनों में पौड़ी और टिहरी जिले में वनाग्नि की कई घटनाएं हो चुकी हैं। इन घटनाओं में कई हेक्टेयर वन जल चुके हैं।टिहरी में बड़ियारगढ़, चुन्नीखाल और सिल्काखाल क्षेत्र में आग विकराल रूप ले चुकी है। पौड़ी जिले के खंडाह, क्विराली, अमकोटी खोला, सरना, घसिया महादेव और श्रीकोट में जंगल आग में धूं-धूं के जल रहे हैं। रविवार शाम श्रीकोट में पहाड़ी में बसे घर आग में गिर गए।