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आखिर झुकी सरकार, त्रिवेंद्र के देवस्थानम बोर्ड पर धामी का ब्रेक


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उत्तराखंड में सियासी संकट बने त्रिवेन्द्र सरकार के बनाए देवस्थानम बोर्ड से मौजूदा धामी सरकार ने पीछा छुड़ा ही लिया है। इस बोर्ड के कारण तीर्थ पुरोहित सत्ताधारी दल बीजेपी के खिलाफ हो गए थे।  पूरे देश में बीजेपी के खिलाफ बड़ेआंदोलन की तैयारी थी। सियासी मजबूरी कहें या कुछ और जो भी हो, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम बोर्ड पर त्रिवेंद्र सरकार का फैसला पलट दिया है। इससे पहले जब तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री बनाये गये थे तो उन्होंने भी त्रिवेन्द्र रावत की अधिकांश योजनाओं का या तो नाम बदल दिया था या उसे बंद ही कर दिया था।

उत्तराखंड में परम्परागत रूप से बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा केदारनाथ धाम और बदरीनाथ धाम का प्रबंधन किया जाता रहा है। इसी तरह गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए अलग प्रबंधन होता रहा है। राज्य गठन के बाद सरकार ने चारधाम विकास परिषद भी बनाया, लेकिन मंदिर समिति का वर्चस्व बना रहा। वर्ष 2017 में जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और त्रिवेन्द्र सिंह रावत मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने चारो धामों समेत राज्य के सभी 51 प्रमुख मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में लाने की कवायद शुरू की । वर्ष 2019 के शीतकालीन सत्र में उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम मैनेजमेंट बोर्ड के नाम से एक विधेयक विधानसभा में पेश हुआ। जनवरी 2020 में यह कानून बना। मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने त्रिवेन्द्र सरकारके फैसले को पलटते हुए देव स्थानम बोर्ड को भंग कर दिया। ध्यानी समिति की रिपोर्ट को बोर्ड को भंग करने का आधार बनाया गया है।

खास बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत इस बोर्ड को अपना सबसे बेहतरीन कार्य के तौर पर मानते रहे हैं। पिछले दिनों जब बोर्ड को भंग करने की सुबहुगाहट शुरू हुई थी तो उन्होंने सरकार के प्रयासों काविरोध किया था। पंडे पुरोहितों ने जब उन्हें केदारनाथ धाम में पूजा नहीं करने दी, तो भी वह बोर्ड की पैरोकारी करते रहे। त्रिवेन्द्र कहते रहे कि बोर्ड के गठन से ही प्रदेश में चारधामों समेत सभी मंदिरों का विकास होगा और इन्हें पर्यटन-तीर्थाटन के रूप में विश्व पटल से जोड़ा जा सकेगा। बताते चलें कि मुख्यमंत्री के तौर पर त्रिवेन्द्र के फैसले मसलन मुख्यमंत्री वात्स्ल्य योजना, रोजगार योजना, लगभग सौ लोगों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया जाना, तमाम विरोध के बावजूद ओम प्रकाश को मुख्य सचिव बनाना आदि। इन सभी फैसलों को पहले ही पलटा जा चुका है।

कब क्या हुआ

– 27 नवंबर 2019 को उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक को मंजूरी।

– 5 दिसंबर 2019 में सदन से देवस्थानम प्रबंधन विधेयक पारित हुआ।

– 14 जनवरी 2020 को देवस्थानम विधेयक को राजभवन ने मंजूरी दी।

– 24 फरवरी 2020 से देवस्थानम बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहितों का धरना प्रदर्शन

– 21 जुलाई 2020 को हाईकोर्ट ने राज्य सभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी की ओर से दायर जनहित याचिका को खारिज करने फैसला सुनाया।

– 15 अगस्त 2021 को सीएम ने देवस्थानम बोर्ड पर गठित उच्च स्तरीय समिति का अध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी को बनाने की घोषणा की।

– 30 अक्तूबर 2021 को उच्च स्तरीय समिति में चारधामों से नौ सदस्य नामित किए।

– 25 अक्तूबर 2021 को उच्च स्तरीय समिति ने सरकार को अंतरिम रिपोर्ट सौंपी

– 27 नवंबर 2021 को तीर्थ पुरोहितों ने बोर्ड भंग करने के विरोध में देहरादून में आक्रोश रैली निकाली।

– 28 नवंबर 2021 को उच्च स्तरीय समिति ने मुख्यमंत्री को अंतिम रिपोर्ट सौंपी।

– 29 अक्तूबर 2021 को मंत्रिमंडलीय उप समिति ने रिपोर्ट का परीक्षण कर मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपी।

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