उत्तराखंड देश का दूसरा राज्य बनेगा जो समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में आगे बढ़ा है। 23 मार्च को गठित धामी-2 सरकार की 24 मार्च को आयोजित पहली कैबिनेट बैठक में मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों ने प्रदेश में समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने पर सहमति दे दी है। कानून का मसौदा तैयार करने के लिए बहुत जल्द एक हाई पावर कमेटी का गठन होगा जिसमें विधि विशेषज्ञों के साथ ही सभी संबंधित समुदाय के प्रतिनिधियों और समाज के प्रबुद्धजनों को सदस्य बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि उत्तराखंड गोवा के बाद दूसरा राज्य होगा जो सबसे पहले यह कानून लागू करेगा।सीएम ने देश के सभी राज्यों से यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने का अनुरोध भी किया है।
वीरवार को सायं पांच बजे विधानसभा परिसर में धामी कैबिनेट की पहली बैठक हुई। इस बैठक में एकमात्र एजेंडा यूनिफॉर्म सिविल कोड पर चर्चा हुई। मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों ने उत्तराखंड में इस कानून को जल्द से जल्द लागू करने और इसका मसौदा तैयार करने के लिए प्रस्तावित कमेटी के गठन को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अधिकृत किया है। कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया बताया कि उन्होंने 12 फरवरी 2022 को (विधानसभा चुनाव से ठीक दो दिन पहले) उत्तराखंड की देव तुल्य जनता से कॉमन सिविल कोड लागू करने का वादा किया था। यह भी कहा था कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही पहली कैबिनेट बैठक में इस विषय को रखा जाएगा। धामी ने कहा कि सरकार ने अपना वादा निभाते हुए प्रदेश में कॉमन यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने को हरी झंडी दे दी है।
रिटायर्ड जज होंगे कमेटी के मुखिया :
सीएम धामी ने कहा कि इसके लिए प्रस्तावित कमेटी में सभी स्टेक होल्डर्स को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। इसका मतलब यह है कि अल्पसंख्यक समुदायों और बहुसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधि इस कमेटी में होंगे। इसके अतिरिक्त विधि विशेषज्ञों और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले प्रबुद्ध लोगों को भी कमेटी में लिया जाएगा। हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज इस कमेटी के अध्यक्ष होंगे।
धामी ने बताया क्यों जरूरी है यह कानून:
मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान राज्य सरकारों को यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का अधिकार देता है। इसी अधिकार का उपयोग करते हुए हम यह कानून बनाएंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड हिमालयी राज्य है। गंगा का उद्गम स्थल है और देश की आध्यात्मिक राजधानी है। उत्तराखंड प्रदेश दो-दो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से सटा हुआ है। यहां लोग देश के सभी कोने में सेना या अर्द्ध सैनिक बलों में अपनी सेवा दे रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि उत्तराखंड में एक ऐसा कानून लागू हो जो सभी के लिए समान हो। सीएम ने कहा कि कई बार सुप्रीम कोर्ट भी कह चुकी है कि राज्यों को यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना चाहिए।