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उतरैणी/मकरैणी महोत्सव : वैशाली में कड़कड़ाती ठंड में सधे सुर, थिरके पांव


गाजियाबाद: मकर संक्रांति 15 जनवरी को है। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। उत्तरायण को शुभ माना जाता है। उत्तराखंड में इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, गुड़, दाल, तिल, कंबल आदि दान करने की भी परम्परा है।ये लोग उत्तराखंड की सांस्कृतिक यादें अपनी यादों में संजोए हुए हैं। 13 जनवरी को राम वाटिका, वैशाली, (गाज़ियाबाद) में “गढ़वाल समाज समिति” द्वारा उतरैणी/ मकरैणी, सांस्कृतिक महोत्सव आयोजित किया गया। दोपहर बाद आयोजित इस सांस्कृतिक महोत्सव- 2024 का आयोजन किया गया। राम वाटिका का इस महोत्सव में मुख्य अतिथि थे- गढ़वाली, कुमाउँनी एवं जौनसारी अकादमी (दिल्ली सरकार) के उपाध्यक्ष डॉ. कुलदीप भंडारी और विशिष्ठ अतिथि के रूप में आमंत्रित थे सुप्रसिद्ध रेडियो ब्रॉडकास्टर, लेखक एवं भारतीय संस्कृति के संयोजक पार्थसारथि थपलियाल।

विशिष्ठ अतिथि पार्थसारथि थपलियाल ने मकर सक्रांति के महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सूर्य धनु राशि से मकर राशि मे आते ही उत्तरायण होता है। उत्तरायण होते ही मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस पर्व पर पवित्र नदियों में स्नान, सूर्य उपासना और तिल व तिल से बने पदार्थ दान करने व खाने की परम्परा भी है। मकर संक्रांति को खिचड़ी संग्राद भी कहते हैं। इस दिन तिल की खिचड़ी बनाकर खाते हैं। मुख्य अतिथि डॉ. कुलदीप भंडारी ने अपने संबोधन में इस महोत्सव को अपनी पहाड़ी संस्कृति को संरक्षित और पल्लवित करने का उत्तम प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि हम शहरों में रह रहे लोग अपने नई पीढ़ी के समाज को इस तरह की गतिविधियों से जोड़ें ताकि उत्तराखंड की संस्कृति का अनुकरण दूसरे लोग भी करें। डॉ भंडारी ने समिति के प्रयासों की सराहना की और अपनी शुभकामनाएं व्यक्त की।

आमंत्रित कलाकार सौरभ मैठाणी और साथी कलाकारों ने अच्छा समा बांधा। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का संचालन मंजू बहुगुणा ने किया आरम्भ में कलाकार सौरभ मैठाणी ने न्यतेर माँगल गीत- बोल कागा चौदिसा सगुन… से की। एक देवी भजन- तू रैंदी तू रैंदी ऊँचा पहाड़ों म.. गाया तो दर्शक उनके साथ झूमने लगे। सोनिया मनराल ने सुरीले अंदाज़ में-पहाड़ा ठंडू पाणी… और चिठ्ठी मा लिखी द्यूलु… गाये। इन गीतों पर उन्हें खूब तालियां मिली। सुधांशु लखेड़ा ने अपने पहले दौर में- भाना ए रंगीली भाना.. गाया। दर्शक उनके साथ जुड़े दूसरे गाने पर। मस्त बोल थे- घूर घुरान्दी घुघुती … सौरभ मैठाणी के गीत-मेरी प्यारी चल दिल्ली… निजाणु निजाणु मेरी बौ सरेला.. पर लोग खूब थिरके।

यह कार्यक्रम रात 8 बजे तक चलता रहा। कार्यक्रम के मध्य सच्चिदानंद शर्मा पोखरियाल, पूर्व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री उत्तराखंड सरकार व उनके साथियों का भी अभिनंदन किया गया। गढ़वाल समाज समिति, वैशाली के संरक्षक श्री राम स्वरूप खंतवाल, दिनेश लखेड़ा व श्री गुणानंद खनसीली, अध्यक्ष श्री बृजपाल सिंह रावत, महासचिव श्री बृजमोहन सिंह नेगी, वरिष्ठ सचिव श्री ललित थपलियाल, सचिव श्री हिमांशु लखेड़ा कोषाध्यक्ष श्री विनोद बडोला व अन्य सदस्यों ने कार्यक्रम को सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाने का काम अपने अनुभवों के साथ किया। कार्यक्रम का संचालन श्री ललित थपलियाल और जयपाल सिंह रावत ने किया। तिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया समिति के अध्यक्ष श्री बृजपाल सिंह रावत ने। महोत्सव के आरंभ में स्वस्तिवाचन प्रस्तुत किया ललित थपलियाल, आशीष ममगाईं, और डॉ देवाशीष थपलियाल ने।

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