कोरोना संक्रमण काल में निजी अस्पतालों द्वारा उपचार के नाम पर वसूल की गयी अनाप-शनाप रकम संबंधित मरीजों को वापस दिलाने की मुहिम शुरू हो चुकी है। यह मुहिम शुरू की है देहरादून के अभिनव थापर ने। जिन्होंने केन्द्र सरकार की गाइडलाइन से अधिक बिल वसूल करने वाले अस्पतालों से क्षतिपूर्ति दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है। इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया है और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस भेजा गया है।
पिछले दिनों पूरे भारत मे कोरोना ने अपने पैर पसार रखे थे। एक अनुमान के अनुसार इस बीमारी से अबतक भारत में 3.38 करोड़ ग्रसित हुए। संक्रमण के शिकार हुए लोगों की एक बड़ी तादात ने निजी अस्पतालों में अपना इलाज कराया। कहा जाता है कि कई राज्यो में निजी अस्पतालों ने कोरोना मरीजों से लाखों रुपये के बिल वसूले गये। इन सबके मद्देनजर कोरोना मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों द्वारा ” अत्यधिक ख़र्च की प्रतिपूर्ति – आमजन को प्राइवेट हस्पतालों से पैसे वापसी” के लिये देहरादून, उत्तराखंड निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में मुख्य बिंदु यह बताया कि पूरे देश में प्राइवेट अस्पतालों के लिये जून 2020 में गाइडलाइंस जारी कर ” प्राइवेट अस्पतालों के कोरोना मरीजों के लिए चार्ज सुनिश्चित किया गया था “। किन्तु इसका पालन नहीं किया गया। अबतक लगभग 1 करोड़ कोरोना मरीजों ने प्राइवेट हस्पतालों का रुख किया और अधिकतर लोगों को ” गाइडलाइंस से अधिक बिल” की मार झेलनी पड़ी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ व न्यायाधीश बी वी नागरथना वाली संयुक्त पीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई शुरू कर दी है ।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीपक कुमार शर्मा व कृष्ण बल्लभ ठाकुर ने बताया कि संयुक्त पीठ ने इस याचिका के विषय में स्वास्थ्य मंत्रालय, केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है। उल्लेखनीय है कि देहरादून, उत्तराखंड निवासी अभिनव थापर ने अपने साथियों के साथ मिलकर उत्तराखंड में कई व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर में प्रदेश भर के मरीजों को ऑक्सीजन, अस्पताल में ऑक्सीजन बेड, आई०सी०यू०, वेंटिलेटर, दवा व प्लाज्मा आदि की मदद की थी।