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एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के LTC घोटाले की होगी फिर से जांच


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हवाई टिकटों में हवाबाजी दिखाने के मामले से एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल के कर्मियों का पीछा नहीं छूटने वाला। पुलिस की ‘मामला दफन’ रिपोर्ट को ‘न्याय के दरबार’ में अस्वीकार कर लिया गया है। अब इस एलटीसी घोटाले की दोबारा जांच होगी।न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने पुलिस की ओर से दी गई एफआर(अंतिम रिपोर्ट) को खारिज करते हुए दोबारा से विवेचना के आदेश दे दिए हैं। कोतवाल श्रीनगर हरिओम राज चौहान ने कोर्ट का आदेश मिलने की पुष्टि की है।

आरटीआई एक्टिविट संतोष ममंगाई की शिकायत के आधार पर 17 फरवरी 2016 को कोतवाली में सरकारी धन का दुरुपयोग, धोखाधड़़ी व षडयंत्र का केस दर्ज हुआ था। शिकायतकर्ता के अनुसार, वर्ष 2010 से 2014 के बीच एलटीसी का उपयोग करने वाले गढ़वाल विवि के कतिपय अधिकारियों/कर्मचारियों ने नियमों का उल्लंघन कर धन का दुरुपयोग किया था। सीबीआई ने भी 16 कर्मचारियों में से 13 कर्मचारियों के द्वारा 7 लाख 84 हजार 724 रुपये गबन की पुष्टि की थी।

विवेचना के उपरांत विवेचक ने यह कहते हुए एफआर(फाइनल रिपोर्ट) लगा दी कि कर्मियों के खिलाफ कोई साक्ष्य प्राप्त नहीं हुआ है। ऐसे मेें संबंधितों के खिलाफ आरोपपत्र जारी करना न्यायोचित नहीं है। ट्रेवल्स एंजेंसी के संबंध में भी कोई जानकारी प्राप्त नही है। ऐसे में एजेंसी की जानकारी हासिल करने की कार्रवाई जारी रखते हुए रिपोर्ट को समाप्त किया जाता है।

इसके खिलाफ ममंगाई ने न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीनगर के न्यायालय में अपील दायर की। न्यायालय में ममंगाई ने कहा कि मुकदमे की विवेचना में जानबूझकर देरी की गई है। न्यायालय के आदेश के बाद भी 13 माह की देरी से अभिलेख उपलब्ध कराए गए। विवि से सूचना का अधिकार से प्राप्त 98 शिक्षकों एवं 14 शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की सूची पुलिस को उपलब्ध कराई गई थी। लेकिन विवेचक ने सिर्फ 90 कर्मियों की यात्रा की जांच की।

उन्होंने कहा कि एफआर मेें विवेचक ने उल्लेख किया है कि जानकारी के अभाव में कर्मियों से यह अपराध हुआ है। जबकि 90 कर्मियों में से 34 के वाउचर में कोई हेराफेरी नहीं पाई गई। ऐसा कैसा हो सकता है कि एक ही संस्थान में कार्यरत कुछ कर्मियों को नियमों की जानकारी नहीं थी। कुछ ने अतिरिक्त धनराशि को विवि कोष में जमा करा दिया। गबन की गई धनराशि को जमा करने से अपराध समाप्त नहीं हो जाता है।

ममंगाई ने इस मामले की पुन: जांच कराने की मांग न्यायालय से की। पक्षों को सुनने और पत्रावलियों का अध्ययन करने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट चंद्रेश्वरी सिंह ने आपत्ति को स्वीकारते हुए एफआर को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कोतवाल श्रीनगर को पुन: विवेचना करने के आदेश दिए।

संतोष ममगाई लड़ रहे जंग :-आरटीआई एक्टिविस्ट संतोष ममंगाई ने शिकायत की थी कि वर्ष 2010 से 2014 के बीच गढ़वाल विवि के शिक्षकों/अधिकारियों ने एलटीसी में हेराफेरी की है। शिक्षकों/अधिकारियों ने एअर इंडिया के जहाज से यात्रा दिखाकर सामान्य एअरलाइन से यात्रा की। सामान्य एअरलाइन का किराया एअर इंडिया से कम होता है। नियमानुसार एलटीसी में एअर इंडिया के जहाज से यात्रा करनी होती है। ऐसा करके उन्होंने नियमों का उल्लंघन करते हुए गलत तरीके से विवि से ज्यादा धनराशि ली।

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