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धमाका: उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय में बैकडोर भर्ती की 228 नियुक्तियां खत्म, सचिव सस्पेंड


उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने विवादों में चल रही विधानसभा की 228 नियुक्तियों को निरस्त कर दिया है और वित्तीय अनियमितता के आरोप में विधानसभा के सचिव मुकेश सिंघल को निलंबित कर दिया है । निरस्त की गई नियुक्तियों को अनुमोदन के लिए शासन के पास भेजा गया है। यह कार्रवाई कोटिया समिति की रिपोर्ट की संस्तुति के आधार पर की गई है।

उत्तराखंड विधानसभा में निवर्तमान विस अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल द्वारा की गई 72 तदर्थ नियुक्तियों को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। इसके बारे में कहा गया कि इसमें भाई भतीजावाद को बढ़ावा दिया गया है और सभी नियुक्तियां नियम विरुद्ध की गई है। प्रेमचंद्र अग्रवाल द्वारा की गई नियुक्ति पर सवाल खड़े हुए तो पूर्व के अध्यक्षों के समय हुई नियुक्तियों पर भी विवाद हो गया। इन विवादों का संज्ञान लेते हुए विधानसभा की मौजूदा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने 3 सितंबर 2022 को डीके कोटिया की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति को विधानसभा की नियुक्तियों पर जांच करने को कहा गया।

गुरुवार की देर रात कोटिया समिति ने अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी। विस अध्यक्ष रितु खंडूरी ने शुक्रवार को विधानसभा में पत्रकार वार्ता की और समिति के द्वारा की गई सिफारिशों को लागू करने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि समिति ने पाया है कि 2016 में की गई 150 नियुक्तियां, 2020 में की गई 6 नियुक्तियां और 2021 में की गई 72 नियुक्तियां गलत है।

गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रेमचंद्र अग्रवाल के समय में की गई इन नियुक्तियों में प्रावधानों और नियमों का पालन नहीं किया गया है। इसे निरस्त करना ही सही रहेगा। अध्यक्ष ने बताया कि विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने समिति द्वारा की गई गई सिफारिश को मान लिया है। इन सभी नियुक्तियों को निरस्त करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि नियुक्तियों को शासन का अनुमोदन प्राप्त है इसलिए तदर्थ आधार पर की गई सभी नियुक्तियों को निरस्त करने के लिए शासन के पास अनुमोदन के लिए फाइल भेजी जा रही है। अनुमोदन मिलते ही सभी नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही विधानसभा के सचिव मुकेश सिंघल को निलंबित कर दिया गया है। कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 में विधानसभा में सीधी भर्ती के लिए 32 पदों पर आवेदन मंगाए गए थे।

लखनऊ की कंपनी आरएमएस टेक्नोसोल्यूशंस को इसकी भर्ती परीक्षा आयोजित कराने के लिए हायर किया गया था। जांच में पता चला कि संबंधित कंपनी को हायर करने में वैधानिक प्रावधानों का पालन नहीं किया गया । इतना ही नहीं कंपनी को नियम विरुद्ध तरीके से 59 लाख रुपये का भुगतान भी किया गया इस भुगतान में भी और नियमितता की बात प्रथम दृष्टया सामने आई है । इस कारण 32 पदों पर हुई लिखित भर्ती परीक्षा को निरस्त कर दिया गया है और नियम विरुद्ध भुगतान में सचिव मुकेश सिंघल को प्राचीन रूप से जिम्मेदार मानते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है । इस मामले की विस्तृत जांच कराई जाएगी और जांच पूरी होने तक सिंघल निलंबित रहेंगे। विश अध्यक्ष ने बताया कि इस दौरान उपनल द्वारा की गई 22 नियुक्तियों को भी निरस्त कर दिया गया है।

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