✍🏿अरुणा आर थपलियाल
हैरत की बात है की केदारनाथ के लिए हैली सेवा शुरू हुए दो दशक बीतने को हैं, लेकिन व्यवस्थित उड़ान के लिए भी एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर स्थापित नहीं किया गया है। वह भी तब, जबकि बीते एक दशक मेें केदारनाथ क्षेत्र में हैलीकॉप्टर क्रैश होने व तकनीकी खराबी की दस घटनाएं हो चुकी हैं। हादसों को रोकने के लिए यूकाडा और उत्तराखंड सरकार गंभीर नहीं है। अब 18अक्तूबर 2022 को भी एक बड़े हादसे में पायलट सहित 7 लोगों की मौत ने हैली सेवाओं के संचालन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले में तीर्थ यात्रियों को लेकर केदारनाथ से गुप्तकाशी लौट रहा निजी कंपनी का एक हेलीकॉप्टर गरुड़चट्टी के निकट दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में पायलट समेत सभी सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि हेलीकॉप्टर के परखच्चे उड़ गए और धू धू कर जल उठा। अचानक बर्फबारी और धूंध के कारण विजिविलीटी शून्य पर पहुंच जाने को हादसे की मुख्य वजह माना जा रहा है।
गौरतलब है कि केदारनाथ के लिए 18 वर्ष पूर्व 2003 में अगस्त्यमुनि से पहली बार हैलीकॉप्टर सेवा शुरू हुई थी। जून 2013 की आपदा के बाद भी केदारनाथ यात्रा को सरल व सुलभ बनाने के लिए धरातल पर रत्तीभर इंतजाम भी नहीं हुए। केदारनाथ में हवा की दिशा और दबाव में की कोई जानकारी नहीं मिल पाती है, जिससे दुर्घटना का खतरा रहता है। जबकि, बीते छह वर्षों में भारतीय सेना का एमआई-26 और चिनूक हेलीकॉप्टर भी यहां लैंड कर चुके हैं।
समुद्रतल से 11750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ तीन तरफा पहाड़ियों से घिरा हुआ है। सिर्फ केदारघाटी वाला क्षेत्र है, जो वी आकार का है और यही केदारनाथ पहुंचने का एकमात्र रास्ता भी है। मंदाकिनी नदी का स्पान काफी कम होने के कारण दोनों तरफ ऊंची पहाड़ियां हैं, जिससे घाटी बहुत ही संकरी है। साथ ही यहां मौसम का मिजाज कब खराब हो जाए, कहना मुश्किल है।
चटक धूप के बीच पलभर में पहाड़ियों के ओट से बादलों का झुंड और कोहरे की चादर पूरे क्षेत्र में ऐसे फैल जाती है कि कई बार पचास मीटर तक भी साफ नहीं दिखाई देता है। हालात यह हैं कि केदारघाटी के हेलीपैडों से लेकर केदारनाथ हैलीपैड पर हेली कंपनियों के कर्मचारी अपने-अपने हेलीकॉप्टरों की उड़ान के लिए रंग-बिरंगी झंडी लगाकर हवा की दिशा और दबाव का अनुमान लगाते हैं।
केदारघाटी में बाबा के दर्शनों को आसान बनाने के लिए 2003 में अगस्त्यमुनि से पवन हंस हैलीकॉप्टर सेवा शुरू हुई थी। जबकि 2006 से फाटा से प्रभातम हेली सेवा का संचालन शुरू किया गया था। जिसके बाद यात्री हेलीकॉप्टर से भी बाबा के दर्शनों को जाने लगे। किन्तु सुरक्षा मानकों की अनदेखी के चलते 2010 में केदारनाथ यात्रा में पहला हैलीकॉप्टर टेकऑफ करते क्रैश हुआ था। इसके बाद जब केदारनाथ में भीषण आपदा आयी थी। उस दौरान 2013 में 21 जून 2013 को सेना का एमआई 27 हैलीकॉप्टर केदारनाथ क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। इसके बाद 24 जून 2013 में एक सिविल हैलीकॉप्टर जंगलचट्टी के आसपास दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। साथ ही साथ 21 जून 2013 को सेना का एक अन्य हेलीकॉप्टर भी रेस्क्यू के दौरान केदार क्षेत्र में ध्वस्त हुआ था।
इसके बाद 18 मई 2017 में केदारनाथ यात्रा के दौरान एक हैली दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। तथा 3 अप्रैल 2018 को एमआई का हैलीकॉप्टर गरुड़चट्टी क्षेत्र में क्रेश हुआ था। इन सभी हेलीकॉप्टरों के क्रेश होने की घटनाओं में करीब 23 – 24 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। जबकि मंगलवार 18 अक्तूबर को आर्यन कम्पनी का हैलीकॉप्टर भी गरुड़चट्टी क्षेत्र में क्रेश होकर ब्लास्ट हुआ। जिसमें भी सात लोग हताहत हुए हैं। कहीं न कहीं केदारघाटी में हेली सेवाओं का संचालन खतरे से खाली नहीं है। जबकि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी यह स्थान हेली सेवाओं के संचालन के लिए उचित नहीं माना जाता है। आखिर कब तक सरकार बाबा केदार के भरोसे अपनी हैली सेवा को चलाती रहेगी।