उत्तरकाशी : जिले के पौराणिक धार्मिक और सांस्कृतिक माघ मेला (बाड़ाहाट कू थौलू) के तीसरे दिन मेलार्थियों के लिए हाथी स्वांग आकर्षण का केंद्र रहा। इसमें काशी एवं बाड़ाहाट क्षेत्र के भूम्याल देवता हाथी की सवारी पर जनता को आशीर्वाद देने नगर में यात्रा की है।
मंगलवार को मेले के तीसरे दिन काशी नगरी में अनूठी संस्कृति की झलक देखने को मिली।यहां हाथी के स्वांग पर सवार बाड़ाहाट के आराध्य कंडार देवता की शोभायात्रा और चमाला की चौंरी पर बाड़ागड्डी की देव डोलियों का मिलन एवं नृत्य आकर्षण का केंद्र रहा। जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी रही।यहां के
आराध्य कंडार देवता की शोभायात्रा माघ मेला मेला पंडाल में पहुंची जहां मेला समिति ने गर्म जोश के साथ स्वागत किया। और मेला पंडाल से पूरे शहर में भव्य शोभा यात्रा निकाली।
पांडव नृत्य समिति की ओर से परंपरागत हाथी स्वांग में बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए। मंगलवार को माघ मेला ( बाड़ाहाट कू थौलू) में पांडव नृत्य समिति बाड़ाहाट की ओर से हाथी के स्वांग के साथ कंडार देवता की भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। यात्रा कलक्ट्रेट स्थित कंडार देवता मंदिर के प्रांगण से प्रारंभ हुई। जहां पर ग्रामीणों ने पहले कंडार देवता की भोग मूर्ति की विशेष पूजा अर्चना की। इसके बाद मूर्ति को लकड़ी से बने हाथी पर बैठाया।
इसके बाद ढोल की थाप पर आगे-आगे पांडव पश्वा एवं महिलाओं ने राशो नृत्य करते हुए चल रहे थे। यात्रा भैरव चौक, विश्वनाथ चौक, रामलीला मैदान से होते हुए मणिकर्णिका घाट पहुंची। यहां से रथ यात्रा रामलीला मैदान व मुख्य बाजार होते हुए वापस मणिकर्णिका घाट पहुंचकर मुख्य
बाजार होते हुए वापस मणिकर्णिका घाट पहुंचकर संपन्न हुई। जहां पर देवता की भोग मूर्ति और पांडव पश्वा के शस्त्रों का गंगा भागीरथी के जल से अभिषेक किया गया।
बाड़ाहाट निवासी डा. राम चन्द्र उनियाल ने बताया कि हाथी स्वांग इस क्षेत्र की सदियों पुरानी परंपरा रही है। इसमें खास तौर पर बाड़ाहाट, लक्षेश्वर, पाटा, संग्राली, बग्याल गांव के ग्रामीण शामिल होते हैं।
शोभायात्रा की जिला पंचायत अ अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण, ने सराहना की है। इस दौरान हंसराज चौहान,मंगल सिंह चौहान, देवेंद्र, मुकेश पुरी, अजय पुरी, नागेंद्र पुरी, , सरिता चौहान, चंद्री चौहान, स्वतंत्रता पंवार, विनोद नेगी, मंगल सिंह चौहान, जगमोहन सिंह चौहान, नरेश सिंह, बगियाल गांव क्षेत्र पंचायत पूजा डंगवाल, बिमला नैथानी, शामिल रहे। चमाला की चौंरी में बड़ागड्डी से आये हरि महाराज और खंड द्वारी देवी व बाराहाट के कांडार देवता के सभी भक्तों ने संयुक्त रूप से पूजा अर्चना कर रास नृत्य किया।