श्रीनगर। एनआईटी (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) उत्तराखंड में हवाई टिकट खरीद में हेराफेरी मामले में संस्थान के दो अधिकारियों पर गाज गिर चुकी है। जबकि एक अन्य अधिकारी पर बड़ी कार्रवाई (मेजर पेनाल्टी) तय है। इसमें डिमोशन या पदच्युत कुछ भी हो सकता है।
वर्ष 2012 से 2014 के दौरान एनआईटी में समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों के एक्सपर्ट बुलाए गए थे। साथ ही कुछ संकाय सदस्यों ने एलटीसी (leave travel concession) के तहत टिकट खरीदे थे। हवाई यात्रा के लिए नागपुर की एक एजेंसी से टिकट खरीदे गए थे। नियमानुसार टिकट प्राइवेट एजेंसी से नहीं खरीदे जाने थे।
बताया जाता है कि लगभग 70 लाख रुपये के टिकट खरीद में करीब तीन लाख रुपये अधिक भुगतान किया गया। यह एजेंसी तत्कालीन निदेशक के गृह क्षेत्र की है। मामला तब खुला जब कुछ अधिकारियों/संकाय सदस्यों को तो भुगतान किया गया। लेकिन एक अधिकारी को भुगतान नहीं किया गया। जिस पर उसने सीबीआई से शिकायत कर दी। सीबीआई ने जांच में इसे अनियमितता ठहराते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को 5 अधिकारियों के खिलाफ़ कार्रवाई के लिए पत्र भेजा।
इनमें से पूर्व निदेशक प्रो थोराट का कार्यकाल वर्ष 2016में खत्म हो चुका है। अब वह रिटायर भी हो चुके हैं। जबकि डीन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट (P&D) के पद पर रह चुके एक अधिकारी अन्यंत्र सेवा दे रहे हैं। वहीं, एक सहायक कुलसचिव, एक संकाय सदस्य और एक कार्यालय अधीक्षक यहीं सेवारत हैं।
मंत्रालय ने हवाई टिकट के भुगतान में नियमों का पालन न करने पर सेवारत अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच और प्रो थोराट पर केस दर्ज करने के निर्देश दिए थे।
एनआईटी उत्तराखंड के निदेशक प्रो. ललित कुमार अवस्थी ने बताया कि प्रो थोराट के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया है। दो अधिकारियों का माइनर पेनाल्टी के तहत एक इंक्रीमेंट रोका गया है। एक अधिकारी पर मेजर पेनाल्टी की कार्रवाई गतिमान है। उन्होंने बताया कि संस्थान को छोड़ चुके अधिकारी के संबंध में कोई दिशा निर्देश नहीं मिले हैं।